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दर्पण की तरह होना चाहिए चेहरा: जैन मुनि डॉ. मणिभद्र

छिपाने से और अधिक बढ़ती हैं बुराइयां
संतों के सानिध्य से समाप्त होता है अहंकार
जैन स्थानक, राजामंडी में हो रहे प्रवचन

 

आगरा ।जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज ने भक्तामर स्रोत के पाठ के अनंतर अपने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति अपने अवगुण छिपा कर श्रेष्ठ बनना चाहता है। दोषों को दबा कर रखने से वे और बढ़ते हैं और कभी-कभी विकराल रूप ले लेते हैं। इसलिए अपने मन व हृदय को सरल बनाइये। जैसा हैं, वैसा दीखिये, सकारात्मक सोच को हृदय में धारण करना चाहिए। राजामंडी के महावीर भवनए जैन स्थानक में जैन संतों का वर्षावास हो रहा है। इन दिनों वहां भक्तामर स्रोत का पाठ चल रहा है। इस दौरान जैन मुनि ने कहा कि बुराई कभी दब नहीं सकती। जिस प्रकार राख को दबाने से उसके अंदर का ताप खत्म नहीं होता, वैसे ही बुराई दबी रहती है। मौका मिलने पर वह बढ़ती हैं। मन के कषाय को खत्म करना चाहिए। उन्होंने एक दार्शनिक एमरसन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक गरीब वृद्धा एक संत के रोजाना पूरे प्रवचन सुनती। लोग हंसी उड़ाते थे कि तेरी समझ में क्या आएगा। जब लोग बार-बार पूछने लगे तो उस वृद्धा ने बताया कि प्रवचन भले ही समझ में नहीं आएं, लेकिन भगवत तत्व तो जाग ही जाते हैं। उससे आत्म ज्ञान हो रहा है, उससे मेरे जीवन में सफलता आ रही है। जैन मुनि ने कहा कि संतों के सानिध्य में आने से व्यक्ति का अहंकार समाप्त हो जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि कषायों को खत्म करना चाहिए। यदि कभी क्रोध आए तो उस पर नियंत्रण करके लंबी-लंबी सांस लें, तभी राहत मिल सकेगी। आचार्य मांगतुंग की चर्चा करते हुए जैन मुनि ने कहा कि पानी की साधारण बूंद यदि कमल के फूल के पत्ते पर हो तो वह मोती जैसी दिखती है। स्वाति नक्षत्र में ओस की बूंद यदि सीप में गिर जाए तो वह मोती बन जाती है। वही बूंद यदि नाले में गिर जाए तो कीचड़ में मिल जाती है। यानि कर्म और भाग्य के अलाला संगत का असर होता है, जो व्यक्ति के जीवन का कल्याण करता है। इसके लिए साधुओं का सत्संग होना जरूरी है, उनके प्रवचन, उनके आशीर्वाद जीवन का  कल्याण कर सकते हैं। जैन मुनि ने कहा कि साधु तो स्वयं ही तीर्थ होते हैं। एक साधु हजारों तीर्थ बनवा सकता है, लेकिन हजारों तीर्थ एक साधु नहीं बना सकते। साधुओं की जन्म स्थली, कैवल्य ज्ञान स्थली, दीक्षा स्थली, साधना स्थली, निर्वाण स्थली, यह सब तीर्थ में बदल जाते हैं। उन्होंने श्रावकों से कहा कि तुम लोग भी कुछ ऐसा कर जाओ कि तुम्हारे नाम पर तीर्थ बन जाएं। अच्छे स्मारक बनाए जाएं। वरना दुनिया में न जाने कितने लोग जन्म लेते और मृत्यु को प्राप्त करते हैं। बुधवार को टोहना, जयपुर एवमं गुहावटी से पधारे धर्मप्रेमी भी अनुष्ठान में शामिल रहे। नेपाल केसरी , मानव मिलन संस्थापक डॉक्टर मणिभद्र मुनि, बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में बुधवार को आठवीं गाथा का लाभ मंजू सुरेश सोनी परिवार एवमं कंचन, रुचिरा, अमरलाल दुग्गर परिवार गांधीनगर ने लिया। नवकार मंत्र जाप के लाभार्थी राजकुमार शकुंतला बरडिया परिवार थे। धर्म प्रभावना के अंतर्गत नीतू जैन, दयालबाग की 23 उपवास , बालकिशन जैन लोहामंडी की 27 , मधु जी बुरड़ की 15 आयंबिल की तपस्या निरंतर जारी है। मंगलवार के कार्यक्रम में श्वेतांबर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक जैन ओसवाल , नरेश चपलावत, नरेंद्र सिंह जैन, विवेक कुमार जैन, अनिल जैन, सुरेंद्र जैन, सौरभ जैन सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।