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सरकार के एजेंडे पर जजों का चलना लोकतंत्र के लिए खतरनाक- शाहनवाज़ आलम

बदायूं की ऐतिहासिक मस्जिद को मंदिर बताने वाली याचिका को स्वीकार कर पूजा स्थल क़ानून का उल्लंघन करने वाले जज के खिलाफ़ कार्यवाई के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस ने भेजा राष्ट्रपति को ज्ञापन

लखनऊ,। बदायूं की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को मंदिर बताने वाली याचिका स्वीकार करके पूजा स्थल क़ानून 1991 का उल्लंघन करने वाले बदायूं सिविल जज सीनियर डिविजन विजय कुमार गुप्ता के खिलाफ़ विधिक कार्यवाई करने के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस न हर ज़िले से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है।

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में बताया कि 1223 इस्वी में गुलाम वंश के शासक शम्सुद्दीन अल्तमश द्वारा बनवायी गयी बदायूं की जामा मस्जिद देश की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है। जहाँ मस्जिद में तब से ले कर आज तक रोज़ पांचों वक़्त विधिवत नमाज़ अदा की जा रही है ।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बाबरी मस्जिद सिविल टाइटल फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम को संविधान के बुनियादी ढांचे से जोड़ा था। सनद रहे कि संविधान के बुनियादी ढांचे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि यह क़ानून स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 तक धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र और मिल्कियत थी वो यथावत रहेगी। इसे चुनौती देने वाले किसी भी प्रतिवेदन या अपील को किसी न्यायालय, ट्रिबूयुनल या प्राधिकार के समक्ष स्वीकार नहीं किया जा सकता।
पूजास्थल क़ानून 1991 की धारा 3 के उल्लंघन की कोशिश करने के अपराध में इस क़ानून की धारा 6 के तहत 3 साल की क़ैद और अर्थ दंड की सज़ा सुनाई जानी चाहिए थी। सिविल जज ने इस वाद को स्वीकार कर इस क़ानून का उल्लंघन किया है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संविधान के संरक्षक होने के नाते राष्ट्रपति महोदया से इस क़ानून का उल्लंघन करने पर जज के खिलाफ़ विधिक कार्यवाई की मांग की गयी। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार में जजों का सरकार के एजेंडा पर चलना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।