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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात के लिए पहुंचे गरीब नवाज़ के खादिम सैयद फख़र काज़मी चिश्ती

संवाद , मो नज़ीर क़ादरी
अज़मेर । विश्व प्रसिद्ध सूफ़ी संत हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के ख़ादिम सैयद फख़र काज़मी चिश्ती ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाक़ात की। राष्ट्रपति भवन पहुँचें उनके साथ उनके पुत्र सैयद राग़िब चिश्ती(अधिवक्ता) भी मौजूद रहे।
सर्वप्रथम चिश्ती ने उन्हें गुलदस्ता, शॉल, एवं दरगाह का तबरुक भेंट कर अजमेर दरगाह शरीफ़ ज़ियारत के लिए आमंत्रित किया। इस पर उन्होंने जल्द ही अपने राजस्थान दौरे में अजमेर दरगाह शरीफ़ ज़ियारत की बात कही।

क़रीब आधा घंटे की इस मुलाक़ात में हुई बातचीत के दौरान राष्ट्रपति महोदया ने बताया की वे शुरुआत से ही सूफ़ीयों एवं संतों को मानती चली आ रहीं हैं बहुत सी दरगाहों में दर्शन कर चुकी हैं।
उन्होंने कहा की प्रत्येक मनुष्य स्वतंत्र एवं समान पैदा हुएँ हैं और वे अपने अधिकारों के विषय में भी स्वतंत्र और समान ही हैं राष्ट्रपति जी ने सम्पूर्ण मानव जाति को एक समान बताया।
उन्होंने ये भी बताया की देश को विकसित करने में जहाँ देश के रजनेताओं की भूमिका रही वहीं देश में शांति को लेकर सूफ़ी संतों की अहम भूमिका रही है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सैयद राग़िब चिश्ती अधिवक्ता से मुख़ातिब होते हुए कहा की देश के हर नागरिक को संविधान का ज्ञान होना चाहिए। क्यूँकि देश के संविधान से हमें हमारे मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्य की जानकारी मिलती हैं। चिश्ती ने बताया की राष्ट्रपति महोदया एक बहुत ही सादा जीवन जीने वाली महिला हैं।