नई दिल्ली, बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा बीजेपी से अलग होकर राजद के साथ गठबंधन सरकार बनाने के बाद से इस बात का कयास लगा जा रहा है कि नीतेश राष्ट्रीय राजनीती में शामिल हो कर कुछ बड़ा परिवर्तन करने की तैयारी में है,
ये भी माना जा रहा है कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने की तैयारी में है, इस के लिए वो अपनी गृह नगर नालंदा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे या फिर किसी और सीट से इस पर चर्चा चल रही है ,
सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार राजनीति की प्रयोगशाला कहे जाने वाली उत्तर प्रदेश की किसी सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। बीते दिनों नीतीश कुमार की अखिलेश यादव से मुलाकात भी हुई थी। जिसके बाद अखिलेश यादव ने कहा था कि नीतीश कुमार की निगाहें बिहार, यूपी और झारखंड पर पहले टिकी हुई है। जिसके बाद मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि नीतीश प्रयागराज की फूलपूर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि अभी लोकसभा चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है। इसमें अभी 20 महीने का वक्त शेष है। इसलिए अभी इस पर चर्चा करना व्यर्थ है। जब लोकसभा चुनाव का ऐलान होगा उसके बाद नीतीश कुमार ये निर्णय लेंगे कि उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ना है या नहीं? अगर लड़ना है तो किस सीट से लड़ना है। फूलपूर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र बिहार से लगते हैं। ललन सिंह ने कहा कि यूपी के लोग भी बिहार में नीतीश कुमार के 17 सालों के कार्यों को महसूस किया है। उत्तर प्रदेश में भी वो उतने ही लोकप्रिय हैं। ललन सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय परिषद के कई लोगों ने कहा कि आप मिर्जापुर से चुनाव लड़िए। कुछ लोगों ने कहा कि आप आंबेडकर नगर से चुनाव लड़िए। कार्यकर्ताओं और लोगों की भावना का हम सम्मान करते हैं।
ज्ञात हो कि प्रयागराज का फूलपुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से केवल 100 किलोमीटर की दूरी पर है। अगर नीतीश इस सीट से चुनाव लड़ते हैं तो 2024 में उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिदृश्य में काफी बदलाव देखने को मिल सकता है। फूलपुर में जातीय समीकरण काफी दिलचस्प है। इस संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा पटेल मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब तीन लाख है। मुस्लिम ढाई लाख, यादव और कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी दो लाख के आसपास है। लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण और एक लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। फूलपुर की सोरांव, फाफामऊ, फूलपुर और शहर पश्चिमी विधानसभा सीट ओबीसी बाहुल्य हैं। इनमें कुर्मी, कुशवाहा और यादव वोटर सबसे अधिक हैं। फूलपुर से ही फूलपुर ही वो सीट था जहां सपा-बसपा ने मिलकर 2018 के उपचुनाव में बीजेपी को मात दी थी।