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संघ शाश्वत है, गलतफहमी न पाले कांग्रेस और विपक्ष: इंद्रेश कुमार

संवाद। सादिक जलाल

नई दिल्ली। हाइफा मुक्ति दिवस के अवसर पर पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह, इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन, एनडीएमसी के वाइस चेयरमैन सतीश उपाध्याय और वरिष्ठ संघ नेता इंद्रेश कुमार ने नई दिल्ली के तीन मूर्ति हाइफा चौक पर शहीद सैनिकों को नमन किया और श्रद्धांजली दी। बारिश के बावजूद इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंच कर शार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया। कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए संघ नेता ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें अपने किए पर पछताना चाहिए। इंद्रेश कुमार ने कहा कि संघ जैसा था वैसा ही है.. वह शाश्वत है और उसमें किसी बदलाव की कोई जरूरत नहीं है।

केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने तीन मूर्ति हाइफा चौक के बारे में कहा कि यहां लगी तीन मूर्तियां जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद के सैनिकों के शौर्य का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज जो हम 104वां विजय दिवस मना रहे हैं इसके पीछे वजह यह है कि भारतीय घुड़सवार सैनिकों ने बम जेड गोली, बारूद का सामना करते हुए इजरायल को आजाद कराने का काम किया था जिसमें लगभग 900 सैनिक शहीद हो गए थे।

विशिष्ट अतिथि भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि यह बहुत हर्ष का विषय है कि भारत सरकार ने तीन मूर्ति चौक का नाम बदलकर तीन मूर्ति हाइफा चौक कर दिया है। इस कदम से भारत और इजरायल के राजनैतिक संबंध और मजबूत होंगे। राजदूत ने बताया कि भारतीय सैनिकों की शौर्य गाथा इजरायल के स्कूल टेक्स्ट बुक में पढ़ाई जाती हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्हें ऐसी उम्मीद है कि भारत और इजरायल के भविष्य में संबंध और भी मजबूत होंगे और दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में मिल कर आगे बढ़ेंगे। अपने संछिप्त भाषण के अंत में इजरायली राजदूत ने हिंदी में भारतीय सैनिकों के बारे में कहा कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.. ओम शांति।

एनडीएमसी के वाइस चेयरमैन सतीश उपाध्याय ने जोरदार ढंग से अपनी बातों को रखते हुए कहा कि इस कार्यक्रम को एनडीएमसी अपने वार्षिक कलेंडर में शामिल कर के प्रत्येक वर्ष इस कार्यक्रम को शानदार रूप से मनाएगी। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि बहादुर भारतीय सैनिकों की इस शौर्यगाथा की पढ़ाई भारतीय स्कूलों में भी होनी चाहिए।

मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने भारत व इजरायल के संबंध को आत्मीय बताते हुए कहा कि 104 वर्ष पूर्व जब इजरायल और वहां के नागरिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे तब उनके लिए भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान दिया जिसके फलस्वरूप इजरायल के स्वतंत्रता की नीव पड़ी।

इस मौके पर इंद्रेश कुमार ने इस चौक को एक तीर्थ की तरह मानते हुए कहा कि हर व्यक्ति को यहां आकर नमन जरूर करना चाहिए। इंद्रेश कुमार ने इजरायली राजदूत की बातों की तारीफ करते कहा कि जिस प्रकार नाओर गिलोन ने भारत और इजरायल की मैत्री को आगे बढ़ाते हुए विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के मिल कर काम करने की बात की है यह प्रशंसनीय है। और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। संघ नेता ने एनडीएमसी के वाइस चेयरमैन सतीश उपाध्याय की बातों का भी स्वागत किया और कहा एनडीएमसी की पहल पर इस स्थान को एक तीर्थ के तौर पर विकसित किया जा सकता है।

इस कार्यक्रम की शुरुवात इंद्रेश कुमार ने राष्ट्रीय शौर्य एवं बलिदान दिवस के तौर पर 2012 में शुरू किया था। तब से ही राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच और भारत इजरायल फ्रेंडशिप फोरम इस कार्यक्रम को पूरी शिद्दत के साथ करता आरहा है। शुक्रवार को हुए इस कार्यक्रम में दोनों ही संगठनों के अधिकारी और प्रतिनिधि शामिल हुए जिनमें लेफ्टिनेंट जनरल आरएन सिंह, अनिल कौशिक, शिवाजी सरकार, जसबीर सिंह, जीसी जॉर्ज, शाहिद सईद, लुबना आसिफ, अनिल गर्ग समेत अनेक गणमान्य लोग शामिल हुए।

कार्यक्रम के अंत में पत्रकारों को अलग से संबोधित करते हुए आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एक मस्जिद जाना और इमामों के एक संगठन के प्रमुख के साथ उनकी मुलाकात संगठन की लाइन से अलग नहीं है। उन्होंने अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी के साथ भागवत की बैठक को पार्टी की “भारत जोड़ी यात्रा” के “प्रभाव” के कारण कहने के लिए कांग्रेस की आलोचना की।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कुमार ने नई दिल्ली के तीन मूर्ति हाइफा चौक पर 104वें हाइफा विजय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस और विपक्ष ने संघ की लाइन को गलत समझा है और उसे इसके लिए “पश्चाताप” करना चाहिए।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि आरएसएस प्रमुख की इलियासी के साथ मुलाकात उसकी ‘भारत जोड़ी यात्रा’ के ‘प्रभाव’ के कारण हुई और उन्होंने भागवत से अनुरोध किया कि वह ‘हाथ में तिरंगा लेकर’ देश को एकजुट करने के लिए पार्टी नेता राहुल गांधी के साथ चलें।

इसके जवाब में वरिष्ठ संघ नेता ने कहा कि संघ की लाइन में कोई बदलाव नहीं आया है। यह पहले जैसा था और भविष्य में भी रहेगा। यह शाश्वत है। लोगों ने इसे गलत समझा है क्योंकि उन्हें गुमराह किया गया है। गलतफहमी पैदा करने के प्रयास किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि इलियासी के साथ भागवत की बैठक अल्पसंख्यक समुदायों के साथ बातचीत करने की संघ की पहल का हिस्सा थी, जो संगठन के पूर्व प्रमुख के एस सुदर्शन के नेतृत्व में 20 साल से अधिक समय पहले शुरू हुई थी।

इंद्रेश कुमार ने कहा, “और अगर कोई अभी इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है, तो मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस को हमले शुरू करने और संघ पर सभी तरह की गालियां देने के लिए पछताना चाहिए। जनता ने उन्हें पहले ही नकार दिया है और अब कांग्रेस इस तरह के आरोप लगा के अपनी और अधिक भद् पिटवा रही है।

आरएसएस के “सरसंघचालक” मध्य दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग की एक मस्जिद में गए और उसके बाद उत्तरी दिल्ली के आजादपुर में मदरसा ताजवीदुल कुरान का दौरा किया। दौरे के दौरान उनके साथ गए आरएसएस के एक अधिकारी ने कहा कि भागवत का मदरसे का यह पहला दौरा था।