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उजाला सिग्नस रेनबो कार्डियक केयर में
उपलब्ध नवीनतम एंजियोप्लास्टी उपचार

संवाद:- दानिश उमरी


आगरा। कैल्शियम की गंभीरता का आकलन करने के लिए स्टेंट के
आकार का चयन करने के लिए रेफेरेंससेगमेंट की पहचान के लिए लैंडिंग जोन की पुष्टि के लिए एक प्री-प्रोसीज़रल ये तकनीक उजाला सिग्नस रेनबो कार्डियक केयर उत्तर प्रदेश की पहली कैथ लैब है जिसमे आईवीयूएस एचडी उपलब्ध है उत्तर भारत में भी ये तकनीक कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध है आईवीयूएस जांच महत्वपूर्ण है व्यापक कैल्सिफिक घावों का पता लगाना के लिए एंजियोग्राफी मध्यम रूप से संवेदनशील है लेकिन यह हल्के कैल्शियम के लिए कम संवेदनशील है।

व्यापक कैल्सीफिक घावों का पता लगाना लेकिन यह हल्के कैल्शियम के लिए कम संवेदनशील है एक अध्ययन मेंपता चला है कि आईवीयूएस1,155 में से 841 (73ः) स्टेबल रोगियों में कैल्शियम का पता लगा सका जबकि एंजियोग्राफीसे केवल 440 (38ः) रोगियों में कैल्शियम का पता चला गंभीर कैल्शियम की उपस्थिति में उच्च इन्फ्लेशनप्रेशर के साथ प्री-डाइलेटेशन, लार्जर बैलून, कटिंग बैलून एंजियोप्लास्टी या रोटाब्लेटर एथेरेक्टॉमीकी जरूरत पड़ सकती है ।


एचडीआईवीयूएसका जिक्र करते हुए सीनियर इंटरवेंशनल
कार्डियोलॉजिस्ट व उजाला सिग्नस रेनबो कार्डिएक केयर आगरा में
डायरेक्टर डॉ. विनेश जैनने कहा कोरोनरी प्रक्रियाओं के दौरान
एंजियोग्राफी एक व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली इमेजिंग पद्धति है हालांकि एंजियोग्राफी की वेस्सेल साइज को कम करके आंकने, प्लाक मोरफ़ोलॉजि, कैल्शियम और थ्रोम्बस की उपस्थिति, प्लाक वल्नेरेबिलिटीव असली घावकी लंबाई, स्टेंट एक्सपेंशन और ऐपज़िशन, इंटरवेंशन के बाद रेसिडुअल संकुचन , डाइसेक्शन उपस्थिति याअनुपस्थिति को कम करके आंकने की अपनी सीमाएं हैं।


हाई डेफिनिशन इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस)
एंजियोग्राफी के लिए एक महत्वपूर्ण सहायक साधनके रूप में उभरा एचडीआईवीयूएसवेस्सेलसाइज वप्लाक मोरफ़ोलॉजि की सटीक इमेजिंग प्रदान करता है और डाइसेक्शन की उपस्थिति और इंटरवेंशन प्रोसीजर कोस्टेंट साइज, रेसिडुअल संकुचन आकलन करना, स्टेंट एक्सपेंशनऔर ऐपज़िशनके लिएमार्गदर्शन करता है आईवीयूएस-निर्देशित उपचार में एंजियोग्राफी-निर्देशित उपचार की तुलना में बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा, यह तकनीक एंडोस्कोपी के समान है।

इस तकनीक में एक तारजिस पर कैमरा लगा होता है, रोगी की धमनी में डाला जाता है। यह रुकावट को देखने में मदद करता है। यह तकनीकधमनी की संकीर्णता, रुकावट की लंबाई और कठोरता और संग्रहीत कैल्शियम को दर्शाता है। इतना ही नहीं, इस तकनीक से मरीज को स्टेंट लगाने के बाद इम्प्लांटेशन सही है या नहीं को भी जाना जा सकता है। एचडीआईवीयूएसमें ध्वनि तरंगें उत्पन्न करने के लिए एक ट्रांसड्यूसर का उपयोग शामिल हैजो धमनियों से टकराती हैं और परिणामी प्रतिध्वनि को चित्र में बदल देती हैं।


आगरा मेंजो चीज हमें सबसे अलग करती है, वह है हमारी
क्लीनिकलएक्स्पर्टीज़और नवीनतम शोध और उच्च स्तरीय
मेडिकलटेक्नोलॉजी के उपयोग द्वारा समर्थित हमारे एविडेंस आधारित मल्टीडिसप्लनेरीट्रीटमेंटएप्रोच डॉ विनेश ने कहा।
उन्होंने कहा, हम ज्यादातर रोगियों में रेडियल एंजियोप्लास्टी
का उपयोग कर रहे हैं, जो बुजुर्गों और खून को पतला करने वाली
दवाएं लेने रोगियों को ध्यान में रख कर कलाई मार्ग के माध्यम से
प्रक्रिया की जाती जो रक्तस्राव के जोखिम को और कम करता है मरीज को घंटों लेटने में कम परेशानी होती है।