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जब-जब अधर्म होता है तब प्रभु अवतार लेते हैं

संवाद , दानिश उमरी
आगरा , मनकामेश्वर प्रांगण में आयोजित आज की लीला से हमें संदेश मिलता हैं कि जब-जब अधर्म होता है तब प्रभु अवतार लेते हैं। ये अवतार पापियों का संहार करते हैं। लीला में बताया गया कि भक्तों को परवाह किए बगैर प्रभु का भजन करते रहना चाहिए। ताकि दुखों से छुटकारा मिले और सुखों की प्राप्ति हो।

आज लीला के प्रारंभ में भगवान विष्णु द्वारा मनु शतरूपा को वरदान देते है कि मैं भविष्य में आपके पुत्ररूप में आऊँगा ।

ब्रह्मा जी के वरदान के बाद राक्षसराज रावण के अत्याचार से पृथ्वी कराह उठती है और पृथ्वी लोक के साथ ही देव लोक में भी सभी भयभीत हो उठते हैं।

रामलीला मंच पर बेहद ¨चिंतित मुद्रा में सभी देवता नजर आते हैं। जो रावण के आतंक से व्यथित हैं। इसी बीच वहां पहुंचती हैं पृथ्वी माता जो लंकाधिपति रावण के अत्याचार से थर-थर कांप रही हैं। वो अपनी व्यथा देवताओं को सुनाती हैं जिसे सुनकर देवगण और भी चिंतित हो जाते हैं।

आपस में मंत्रणा के बाद श्री नारायण से दुखड़ा सुनाने का निर्णय होता है। गाय के वेश में पृथ्वी के साथ समस्या के निदान को सभी देवता पहुंचते हैं भगवान विष्णु के पास। जहां जाते ही’जय-जय सुरनायक, जन सुखदायक.. स्तुति गाकर भगवान से करुण पुकार करते हैं। जिसे सुनते ही भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें पृथ्वी का भार हरने के लिये अयोध्या नरेश श्री दशरथ के पुत्र रूप में अवतार लेने का भरोसा देते हुए कहते हैं-‘जाओ सकल सुर घर भय त्यागी, धरिहों नर तन तुम हित लागी..। जिसके बाद माता पृथ्वी के साथ सभी देवता वहां से विदा होते हैं।

कल श्री रामलीला में प्रभु श्रीराम व भाइयों के जन्म के साथ , मुनि विश्वामित्र जी का आगमन, ताड़का वध, माँ अहिल्या का उद्धार तथा विश्वामित्र जी के साथ जनकपुर प्रवेश लीलाओं का मंचन किया जाएगा ।

आज लीला का शुभारंभ मठ परिवार की बहिन संध्या जी (इंग्लैड) ने प्रभु श्री लक्ष्मीनारायण जी आरती कर किया ।

श्री नारायण भगवान का चतुर्भुज दर्शन