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उर्दू में रामलीला ‘दास्तान-ए-राम’

प्रयागराज। देश में पहली बार पहली बार उर्दू में भी रामलीला ‘दास्तान-ए-राम’ का मंचन किया जा रहा है, उर्दू में रामलीला के मुंशी प्रेमचंद के ख्वाब को जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने साकार किया है,
प्रयागराज में पहली बार उर्दू में भी रामलीला ‘दास्तान-ए-राम’ देेख सुन सकेंगे। बेनहर फोरम फॉर टेक्निकल आर्ट्स की ओर से सांस्कृतिक केंद्र प्रेक्षागृह में इसकी प्रस्तुति 19 अक्तूबर को शाम साढ़े छह बजे से होगी। चालीस कलाकारों की टीम में राम की भूमिका संदीप कुमार और सीता की भूमिका शानपा निभाएंगी। हालांकि तकरीबन आधे कलाकार बेनहर फोरम और बेनहर स्कूल के पुराविद्यार्थियों का है। प्रस्तुति के लिए जामिया मिल्लिया में ही दो महीने रिहर्सल किया गया।
‘राम के वजूद पर हिस्दोस्तां को नाज, अहले नजर समझते हैं, उनको इमामे हिंद’ से आगाज के बाद तकरीबन एक घंटे पचीस मिनट की रामलीला कविता शैली में होगी। इसमें भरत नाट्यम, कथक और छाऊ के संगम के अतिरिक्त देश के विभिन्न प्रांतों की नृत्य और गायन शैलियां भी शामिल रहेंगी। वहीं रावण की सेना के तौर पर नागालैंड के कलाकार पारंपरिक भाला लेकर युद्ध करते दिखेंगे। कर्नाटक की मशहूर परछाई विधा यानी बांस की लंबी कठपुतली का नृत्य भी लुभाएगा। छाया कठपुतली की कोरियोग्राफी कर्नाटक के गुन्दू राजू करेंगे ।
बेनहर फोरम फॉर टेक्निकल आर्ट्स के निदेशक और प्रस्तुति के निर्माता तारिक खान ने कहा, दरअसल नब्बे बरस पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आये मुंशी प्रेमचंद ने ही इसकी चर्चा शुरू की थी। अब यह सपना ‘दास्तान-ए-राम’ के माध्यम से पूरा होने जा रहा है। प्रस्तुति की तैयारियां साझा करते हुए कहा, रामकथा को उर्दू में भी पेश करने की योजना के तहत जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर दानिश इकबाल को उर्दू में रामलीला लिखने और मुस्तजब मलिक को निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके कलात्मक निर्देशक संदीप कुमार हैं। दूसरे चरण में इसकी प्रस्तुतियां उत्तराखंड में भी होंगी।