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के.यू.चि.अ.प. में हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह आयोजित

नई दिल्ली: दिन-प्रतिदिन के काम-काज में राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए कर्मचारियों को प्रेरित करने के उद्देश्य से केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.), आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित हिंदी पखवाड़ा आज आयुष सभागार, नई दिल्ली में समाप्त हुआ।
समापन समारोह को प्रो. आसिम अली ख़ान, महानिदेशक, के.यू.चि.अ.प., श्री कुमार पाल शर्मा, उप निदेशक (कार्यान्वयन), राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय और प्रो. अब्दुल बिस्मिल्लाह, जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने संबोधित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. आसिम अली ख़ान ने कहा कि हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और आधिकारिक कार्यों के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन में इसके उपयोग को बढ़ाने के लिए प्रत्येक स्तर पर ईमानदारी से प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने के.यू.चि.अ.प. में हिन्दी के बढ़ते प्रयोग पर संतोष व्यक्त किया।
अपने संबोधन में प्रो. अब्दुल बिस्मिल्लाह ने भाषा को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास करने का आग्रह किया और सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों से हिंदी का यथासंभव उपयोग करने और आधिकारिक कार्यों में अंग्रेजी के प्रभाव को कम करने का आह्वान किया।
समारोह को संबोधित करते हुए श्री कुमार पाल शर्मा ने हिंदी भाषा के प्रचार में राजभाषा विभाग की भूमिका पर प्रकाश डाला और इसे आधिकारिक तथा व्यक्तिगत संचार के लिए अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने ने हिंदी को शोध की भाषा बनाने के लिए भी आह्वान किया।
श्री के. के. सपरा, सहायक निदेशक (प्रशासन), के.यू.चि.अ.प. के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। डॉ. नाहीद परवीन, सहायक निदेशक (यूनानी), के.यू.चि.अ.प. ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई जबकि परिषद के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने कार्यक्रम में भाग लिया। मो. नियाज अहमद, अनुसंधान अधिकारी (प्रकाशन) ने कार्यक्रम का संचालन किया। इससे पूर्व डॉ. मुख्तार आलम, अनुसंधान अधिकारी (वनस्पति विज्ञान) एवं प्रभारी, राजभाषा, के.यू.चि.अ.प. के स्वागत भाषण से समारोह की शुरुआत हुई।
समारोह के दौरान मुख्यालय में हिंदी में किए गए कार्यों की अनुभागवार समीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया। 14-29 सितंबर के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। प्रतियोगिताओं में हिंदी श्रुतलेख, हिंदी अनुवाद, हिंदी टिप्पणी लेखन, हिंदी वाद-विवाद, स्व रचित कविता और हिंदी निबंध लेखन शामिल थे।