श्रीनगर/नई दिल्ली,: केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान: यूनानी चिकित्सा में आगे कीराह’ पर ईएमएमआरसी ऑडिटोरियम, कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो. आसिम अली ख़ान, महानिदेशक, के.यू.चि.अ.प. ने कहा कि कोविड-19 की हालिया महामारी से सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता बढ़ गई है। निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक और पुनर्वास स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने वाली यूनानी चिकित्सा पद्धति में सार्वजनिक स्वास्थ हेतु बहूत क्षमता है। उन्होंने आगे कहा कि के.यू.चि.अ.प. यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान, प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए मानक स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और अपने कई संस्थानों के लिए एनएबीएच मान्यता प्राप्त कर ली है। उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने आयुष मंत्रालय के सहयोग से यूनानी चिकित्सा में प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए हाल ही में डब्ल्यूएचओ बेंचमार्क प्रकाशित किये हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो. नीलोफर ख़ान, कुलपति, कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर ने यूनानी चिकित्सा सहित भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की क्षमता और बौद्धिक संपदा अधिकारों में इसके संभावित अनुप्रयोगों पर ज़ोर दिया। उन्होंने आविष्कारकों के लिए एक आईपी रणनीति विकसित करने और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट प्राप्त करने के प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ. खुर्शीद बख्शी, एशियाई आयुर्विज्ञान संस्थान, ज़कूरा, जम्मू-कश्मीर, डॉ. निसार अहमद मीर, रजिस्ट्रार, कश्मीर विश्वविद्यालय और प्रो. अफज़ल ज़रगर, रजिस्ट्रार, कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय, जम्मू- कश्मीर ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
संगोष्ठी में दो तकनीकी सत्र थे जिन के दौरान सुब्रत साहू, परीक्षक, पेटेंट और डिजाइन, भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ), नई दिल्ली, डॉ. मोहम्मद अहसन चिश्ती, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीनगर, प्रो. गीर एम. इसहाक़, कश्मीर विश्वविद्यालय, प्रो. मनीष गोयल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली, राजेश कुमार मीणा, परीक्षक, पेटेंट और डिजाइन, आईपीओ, नई दिल्ली और डॉ. उसामा अकरम, अनुसंधान अधिकारी (यूनानी), के.यू.चि.अ.प. ने व्याख्यान दिए।
उद्घाटन सत्र का समापन डॉ. सीमा अकबर, सहायक निदेशक प्रभारी, क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, श्रीनगर द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। डॉ. निग़हत अंजुम, अनुसंधान अधिकारी (यूनानी) वैज्ञानिक-III ने उद्घाटन समारोह की कार्यवाही का संचालन किया।
डॉ. पवन कुमार, अनुसंधान अधिकारी (पैथोलॉजी) वैज्ञानिक-IV एवं प्रमुख, आईपीआर डिवीजन, डॉ. रामप्रताप मीणा, अनुसंधान अधिकारी (रसायन विज्ञान) वैज्ञानिक-IV और आईपीआर टीम, के.यू.चि.अ.प. मुख्यालय, नई दिल्ली ने संगोष्ठी का समन्वय किया।