आचार्य मांगतुंग ने किया अपने आराध्य का गुणगान
जैन स्थानक में बह रही धर्म की धारा
आगरा। नेपाल केसरी एवं मानव मिलन संस्थापक जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज ने कहा कि प्रभु की स्तुति का फल अवश्य मिलता है, लेकिन वह सच्चे मन से करनी चाहिए। राजामंडी के जैन स्थानक में इन दिनों भक्तामर स्रोत का अनुष्ठान किया जा रहा है।
जैन मुनि ने कहा कि आचार्य मांगतुंग प्रभु की स्तुति करते हुए बताते हैं कि प्रभु के नाम का स्मरण और स्तुति का फल बहुत मिलता है।क्रोध से भरा सांप भी यदि किसी के पैर पड़ जाने पर डस ले, तो उसके डसने का भी प्रभाव नहीं होता। उस सांप में भी बैर भाव खत्म हो जाता है। सांप के डसने का भय सताता हो, वह भी दूर होता है।
स्तुति की क्षमता बताते हुए उन्होंने कहा कि शक्तिशाली राजा युद्ध के लिए तैयार हो, रणभूमि में पहुंच चुका हो। वहां भी स्तुति का ऐसा प्रभाव होता है कि जैसे अंधेरे में सूर्य की किरण उदय होती है, वैसे ही रण क्षेत्र में विजय प्राप्त हो जाती है। प्रभु के नाम के स्मरण मात्र से व्यक्ति जन्म और मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। जैन मुनि ने कहा कि आचार्य के 36 गुण होते हैं, उनकी 36 बार वंदना की जाती है। 36 मालाओं का जाप किया जाता है। उन्हें पीला रंग ज्यादा फलता है। इसलिए इन मालाओं के जाप से पीलिया आदि रोग नहीं होते। उन्होंने कहा कि भक्ति में सच्चे भाव होने चाहिए, तभी पूजन आदि का फल मिलता है।
37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में सोमवार को 41 एवमं 42 वीं गाथा का जाप मुक्ता संदीप जैन, उदिता , आयुष जैन, प्रीति ,कमल जैन परिवार ने लिया। नवकार मंत्र जाप की आराधना ऋतु, अशोक जैन परिवार ने की। सोमवार की धर्मसभा में दिल्ली एवमं जम्मू से आए श्रद्धालु भी उपस्थित थे।महिलाओं के लिए हुई
धर्म प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में मधु बुरड़, सुमित्रा सुराना, मंजू सोनी, अंजली जैन, माधुरी जैन, मीना चोराडिय़ा, पद्मा सुराना, इंद्रा चोरडिय़ा , सरिता सुराना, हर्ष जैन, सुनीता जैन, इंदु जैन को वरिष्ठ श्राविका सुलेखा सुराना द्वारा पुरस्कृत किया गया।