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उर्स सूफी संत हज़रत सय्यद मुज़फ्फर अली शाह रहमातुल्लाह अलैह साहिब

संवाद , अज़हर उमरी
आगरा ,आस्ताना हज़रत मैकश ख़ानक़ाह ए क़ादरिया नियाज़िया आगरा के जानशीन सय्यद फैज़ अली शाह ने उर्स की जानकारी देते हुये बताया 6 अक्टूबर गुरूवार को गुस्ल की रस्म के साथ सज्जादा नशीन हज़रत अजमल अली शाह साहब की सरपरस्ती मे उर्स का आग़ाज़ गुस्ल की रस्म से शाम 5बजे दरगाह पंजा शाही पर होगा और रात 9बजे महफिल ए सिमा होगी जिसमे शहर और बाहर से आये हुये क़व्वाल कलाम पेश करेंगे


दूसरे दिन 7 अक्टूबर को सुबह कुरान ख्वानी (कुरान का पाढ ) हुई शाम 4:45 महफिल ए सिमा (कव्वाली) और शाम 6 बजे अखिरी कुल की महफिल हुई जिसमे दरगाह हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ अजमेर शरीफ से सय्यद अज़हर उद्दीन चिश्ती दरगाह हज़रत ख्वाजा क़ुतब उद्दीन बख़्तियार काकी रज़ि से सय्यद महदी मियाँ क़ुतबी ,दरगाह हज़रत महबूब ए इलाही निज़ाम उद्दीन औलिया से हज़रत सय्यद अनफाल अहमद निज़ामी नियाज़ी दरगाह हज़रत फरजन्द गौस ए आज़म शाह अबदुल्लाह बग़दादी रज़ि से सय्यद इक़बाल क़ादरी जनाब मुस्लिम क़ुरैशी एवं आगरा शहर के सूफी और अध्यात्मिक विॆचार धारा के लोगो ने ख़ास तौर पर शिरकत करेंगे , इसके अलावा दिल्ली, बैंगलूर , ग्वलियर, बिंड, अलीगढ ,फिरोज़ाबाद ,फतेहपुर सीकरी से आने वाले ज़ायरीन भी उर्स मे शरीक होंगे।


गौरतलब हो कि हज़रत सय्यद मुज़फ्फर अली शाह हुज़ूर साहिब आगरा मे सूफी विचार धारा के महान गुरु है़, आपका जन्म 1811 मे हुआ था , हज़रत शुरू से ही आध्यात्मिक थे इश्वर प्रेम मे विलीन रहते जन मानस की सेवा को धर्म मानते थे , हज़रत आगरा के धर्मगुरुओं मे से थे जिन्होंने अंग्रज़ो के दौर मे सुफी अध्यात्म का प्रचार प्रसार किया , हज़रत ने जन समान्य को ईशवर प्रेम का मार्ग ना सिर्फ दिखाया बल्कि सैकडों लोगो को वहाँ तक पहुँचा भी दिया, हुज़ूर साहब ने जीवन के 30 साल एक छोटे से कमरे मे दरवेश की तरहँ गुज़ारे । सिलसिला नियाजी़ के संस्थापक क़ुतब ए आलम मदार ए हज़रत शाह नियाज़ बे नियाज़ रज़ि के जानशीन हजरत ताज उल औलिया निजामउद्दीन हुसैन रज़ि से अध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की ,शहर आगरा मे ऐतिहासिक सूफी केद्र स्थापित किया ।