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सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के प्रतिनिधि मण्डल ने की टूरिज़म गिल्ड के अध्यक्ष से मुलाक़ात

काल्पनिक’ कारणों से सिविल एन्‍कलेव प्रोजेक्ट की शिफ्टिंग में लगते रहे व्‍यवधान समाप्त हो


सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार वस्तुस्थिति प्रस्‍तुत करे: गिल्ड अध्यक्ष


आगरा। प्रभावी एयर कनेक्टिविटी आगरा की अहम जरूरत है,इसके लिये गंभीर प्रयासों किया जाना सामायिक आवश्‍यकता है, यह कहना है टूरिज्म गिल्ड आगरा के अध्यक्ष राजीव सक्सेना का। उन्होंने कहा कि इसके लिये सबसे महत्वपूर्ण है, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्षकार भारत सरकार और राज्‍य सरकार की कार्यदायी संस्थाओं के द्वारा तथ्‍यात्‍मक जानकारियां रखा जाना।


सक्‍सेना जो कि सिविल सोसायटी आगरा के प्रतिनिधियों के साथ ‘आगरा में पर्यटन विकास ‘ संबंधित मुद्दों पर औपचारिक मुलाकात कर रहे थे, ने कहा कि वे नहीं कहते कि अब तक इस सम्बन्ध में कुछ नहीं हुआ, लेकिन यह जरूर मानते हैं कि प्रयासों के परिणाम नहीं आ सके हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन व्यवसाय से संबंधित प्रतिष्ठानों की शीर्ष संस्था के अध्यक्ष के रूप में उनकी कोशिश रहेगी कि सिविल एन्‍कलेव शिफ्टिंग सटीक जानकारियां पक्षकारों के समक्ष लायी जायें।

शिफ्टिंग प्रोजेक्ट है न कि नया
सक्सेना ने कहा कि सिविल एन्‍कलेव को धनौली,बल्‍हेरा और अभुआपुरा गांवों अधिग्रहित की गयी जमीन पर ले जाना एक शिफ्टिंग प्रोजेक्ट है और इसी रूप में उसे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए था । पता नहीं किन कारणों से सुप्रीम कोर्ट में अनुमति प्राप्त करने जैसे अहम कार्य के लिये इसे नये प्रोजेक्‍ट के रूप में कंसल्‍टेंटों से बनवा कर पेश कर डाला गया।

हालांकि अब काफी देर हो चुकी है किन्तु इसके बावजूद उनका प्रयास होगा कि राज्य सरकार इस तथ्‍यात्‍मक जानकारी को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई कर रही बेंच के समक्ष अवश्य लाये। सर्वविदित है कि ताज ट्रिपेजियम जोन के नियमो और सुप्रीम कोर्ट के आदेश में नये उद्योगों या कार्य को शुरू करने के लिये अलग मानक है,जबकि शिफ्टिंग के मामलों में अलग और अपेक्षाकृत उदार मानक हैं। उन्हें नहीं लगता कि एक बार नया प्रोजेक्ट कह देने बाद , शिफ्टिंग के उदार मानकों के परिप्रेक्ष्य में प्रोजेक्ट की स्वीकृति के लिये गंभीर प्रयास किया गया।


न्यूनतम प्रदूषण
श्री सक्सेना ने कहा कि उनकी जानकारी में लाया गया है कि एयरफोर्स स्टेशन आगरा के रनवे से सिविल एन्‍कलेव की पार्किंग तक पहुंचने और वहां से हवाई जहाज को पुन: रनवे तक पहुंचने के लिये बिजली से संचालित ‘टक’ का इस्तेमाल किया जाता है।’पुश बैक’ के लिये इस्तेमाल की जाने की इस प्रक्रिया से आगरा सिविल एन्‍कलेव के लिये लैंडिंग और टेक ऑफ करने के बाद और पूर्व सबसे कम या शून्य वायु प्रदूषण करता है।

हालांकि देश के अन्‍य एयरपोर्टों के सामन ही यहां पूर्व में प्रचलित रही’ पावर बैक’ प्रक्रिया में भी न्यूनतम प्रदूषण ही होता था। उन्होंने कहा कि ‘एयर टर्बाइन फ्यूल मिट्टी के तेल के शोधन से बनता है,जेट इंजन को चलाने में इस्तेमाल मे लाये जाने वाले इस ईंधन के आधिकारिक आंकड़े अगर प्रदूषण नियंत्रण करने वाली नियामक संस्थाओं के पास हैं तो उन्हें सामने लाया जाना चाहिये। ताजमहल संरक्षण के नाम पर काल्पनिक आशंकाओं को बनाये रखने का अब कोई कारण नहीं है।


जब ए टी एफ जनित प्रदूषण का तथ्य सामने आये तब तय करना चाहिये कि कितनी फ्लाइटें आगरा में आयें या यहां से टेक ऑफ करें। एन सी आर में स्थित एयरपोर्टों के लिये फ्लाइटों के जो मानक तय हों उन्हीं को आगरा में भी लागू किया जा सकता है।

पौराणिक महत्ता का सर्किट
आगरा पुरातत्व सर्वेक्षण का सबसे पुराने सर्किलों में से एक है, पुरातात्विक गतिविधियों के विस्तार और प्रशासनिक आवश्यकताओं को दृष्टिगत नये वर्गीकरण समय के साथ यह कई सर्किलों में विभक्त होता रहा।फिर टूरिस्टों के लिए उपयोगकता वाले पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक साक्ष्‍यों को आंकलित कर ‘टूरिज्म सर्किट’ बनाये गये। लेकिन संयोग से पौराणिक महत्ता का सर्किट आगरा में नहीं बन सका।आगरा की संस्कृति के प्रचार और जनजानकारी में लाये जाने को दृष्टिगत पौराणिक सर्किट को बनाये जाने की जरूरत है।

टूरिज्म गिल्ड व्यवसायी के रूप में मेरा मानना है कि अंतर्देशीय पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी अध्‍यात्‍म और सनातन संस्कृति के प्रतीक इस स्थानों के प्रति हमेशा विशिष्‍ठ आकर्षण रखते हैं। खुशी की बात है कि उ प्र शासन ने अध्‍यात्‍म और पौराणिक गतिविधियों का केंद्र रहे यमुना तटीय रुनकता ग्राम पंचायत को नगर पंचायत घोषित कर दिया है,इससे अब यहां का बैहतरीनतम विकास संभव हो सकेगा।

त्रेतायुग से भी पूर्व के आस्था स्थल
श्री सक्सेना ने कहा कि जमदग्नि ऋषि का आश्रम सबसे महत्वपूर्ण एवं त्रेता युग की घटनाओं से जुड़ा स्‍थान है, मर्हिषी परशुराम की मां रेणुका जी के जीवन से जुड़ी कई घटनाएं रुनकता में ही घटी थीं। यमुना की बदहाली के मौजूदा दौर में भी ‘रेणुका घाट’ जिसे कि बृज की सीमा माना जाता है,पर साल भर भरपूर पानी नदी में रहता है। धन संपदा का प्रतीक कुबेर का भी यहां स्थान है,शनिदेव मंदिर को तो सब जानते ही हैं।

मर्हिषी पाराशर और मत्यगंधा के पुत्र वेदव्यास की प्राकट्य कथा पास के ही ‘मच्‍छेन्‍दरी का नगला’ गांव से जुड़ी हुई है। ब्यास पीठ के नाम से विख्यात मंदिर तो यहां मौजूद है,लेकिन महाभारत की प्रमुख पात्र मत्स्यगंधा में बना हुआ आस्था स्थल अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां पहले मंदिर बना हुआ था ,निषाद समाज के लिये यह स्थान अब भी खास महत्व रखता है।


उन्होंने कहा कि रुनकता के पास के ही सींगना गांव में श्रृंगी ऋषि और उनकी पत्नी शांता (दशरथ पुत्री एवं राम की बडी बहन)का आश्रम है,सूर कुटी, यमुनना के पश्‍चिमानी गांव (अपने सामान्‍य बहाव की दिशा के प्रतिकूल यहां यमुना पूर्व से पश्चिम दिशा में बहती है) में द्रौपदी और पांडवों का ‘महाभारत का पश्‍चाताप ‘ स्‍थल,आयुर्विज्ञानी मर्हिषी चव्‍यन का स्थान ,मर्हिषी परशुराम के द्वारा स्थापित शिवलिंग के लिये ग्राम सभा स्वामी का विख्यात कैलाश घाट आदि पौराणिक वृतांत से संबंधित पर्यटन महत्व के हैं।
श्री सक्सेना ने कहा कि बस ढांचागत अवस्‍थापनाओं में सुधार कर इन स्थानों तक पहुंच को सुलभ व सहज बनाये जाने की जरूरत है।

ग्रंथालय एवं लाइब्रेरी
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने इस सर्किट के लिये उपयोगी पौराणिक स्थलों की सटीक एवं जेटियर आधारित जानकारियां जुटाने को सिविल सोसायटी के द्वारा किये गये प्रयासों की जानकारी दी । उन्होंने ब्राह्मण संगठनों की सहभागिता से रुनकता स्थित विचित्र वीर हनुमान मंदिर परिसर में ‘ग्रंथालय’ एवं लाइब्रेरी स्थापना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सड़कों के गुणवत्‍ता युक्‍त निर्माण,सी एन जी की सप्लाई ,जलापूर्ति,ड्रेनेज, सीवर डिस्पोजल का अपग्रेडेशन आदि वे कार्य हैं ,जिनको करवाने के लिये ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी के नियमों और उपनियमों में कोई पाबंदी नहीं है। महानगर को गंदगी मुक्त करने के लिये तो सरकार खुद भी तत्पर रही है, यह बात अलग है कि इन स्‍थानों की पर्यटन प्रधानता के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं आ पा रहे हैं। जर्नलिस्ट राजीव सक्सेना भी गिल्ड अध्यक्ष के साथ हुई चर्चा में शामिल थे।