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मेहनत की कमाई से ही जीवन में मिलती है सफलता: राष्ट्रसंत डॉक्टर मणिभद्र महाराज

बिना श्रम का धन लौटाना पड़ता है ब्याज सहित

जैन स्थानक में हो रहा उतराध्यायन सूत्र का वाचन

आगरा । ऱाष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि हमारे मेहनत की कमाई ही हमारे अंग लगेगी और प्रगति के सोपानों पर पहुंचाएगी। बिना मेहनत की कमाई को हमें ब्याज सहित कभी न कभी वापस करना होता है। इसलिए हमेशा अपनी मेहनत की कमाई को देखो और दूसरों के सुख से दुखी मत हो।
न्यू राजामंडी स्थित जैन स्थानक में चातुर्मास कल्प के दौरान उत्तराध्यायन के सातवें अध्याय का वाचन करते हुए जैन मुनि ने भगवान महावीर के वचन सुनाए। भगवान महावीर ने एक मेमने का उदाहरण दिया। बताया कि एक किसान के पास गाय और उसका बछड़ा रहता था। उसने एक मेमने को भी पाला। एक दिन बछड़े ने गाय से शिकायत की कि मेमने को तो बढ़िया-बढ़िया चारा दिया जाता है, जबकि वह कुछ नहीं करता। हम दोनों मेहनत करते हैं, तुम दूध भी देती हो, फिर भी हमारे हिस्से में केवल सूखी घास ही आती है। गाय ने बछड़े को समझाया कि हम जितनी मेहनत करते हैं, उसका फल हमें मिल रहा है और आगे भी मिलेगा। जो बिना मेहनत के खाता है, उसे ब्याज सहित वापस करना पड़ेगा।
जैन मुनि ने कहा कि एक दिन वही बछड़ा भागता हुआ, घबराता हुआ गाय के पास आया, बोला कि यहां से चलो। अब हम नहीं रहेंगे। गाय ने पूछा क्या हुआ। बछड़ा बोला कि किसान ने मेमने की गर्दन पर छुरा चला कर मार दिया। वह हम हमें भी मार डालेगा। इस पर गाय ने बड़े शांत भाव से कहा, तुम्हें कुछ नहीं होगा। उसे कई महीनों से बिना श्रम के इसी दिन के लिए खिलाया जा रहा था कि एक दिन उसकी गर्दन पर छुरी चलनी है। उसकी चर्बी बढ़ जाए, इसलिए अच्छे-अच्छे अनाज खिला जाए रहे थे। हम तो मेहनत करके ही खाएंगे, खाते रहेंगे, इसलिए हमारे जीवन को कोई खतरा नहीं है। इस बात को सुन कर बछड़ा कुछ शांत हुआ।
जैन मुनि ने कहा कि हमारे जीवन में शिकायतें ही शिकायतें है। जरा सा कष्ट हो जाए तो हम भगवान से भी शिकायत करते हैं। अगर कुछ कम आमदनी हो तो भी शिकायत रहती है। पर, कितने लोग ऐसे हैं, जो पहले से मिला है, उसका धन्यवाद देते हैं। हमें जो भी कुछ मिला है, उसके प्रति भगवान का आभारी होना चाहिए, शिकायत कभी नहीं करें। कभी अकेले में चिंतन करना कि पहले तुम क्या थे और आज क्या हो गए हो। तुम्हारी इस सफलता में न जाने कितने लोगों का सहयोग रहा होगा, उनको याद करो और उनका धन्यवाद ज्ञापन करो। यह भी है कि व्यक्ति अपने दुख से दुखी नहीं, दूसरों के सुख से दुखी रहता है। हमें एसा पुरुषार्थ करना चाहिए कि हमारे श्रम का फल पूरा मिले।
मंगलवार की धर्मसभा में सोनीपत से राकेश जैन उपस्थित थे।बाल संस्कारक पुनीत मुनि के जन्मदिवस पर सुरेश जैन लोहामंडी एवम बेंगलुरु से आई संतोष जैन और इंदिरा गांधी ने सुमधुर भजन गाए।
धर्म सभा में नरेश चप्लावत,आदेश बुरड़,राजीव चपलावत,विवेक कुमार जैन,वैभव जैन,प्रतीक जैन,अर्पित जैन,आदि उपस्थित थे।