प्रधान सेवक के प्रिय पात्र गौतम अडानी जब दुनिया के दो नम्बर के अमीर घोषित हुए तब भगत लोग बड़ा गर्व करते हुए मोदी के शासन की उपलब्धि बता रहे थे. लेकिन जब से हंगर इंडेक्स के आंकड़े सामने आए है तब से भगत छाती पीट रहे है. उसे गलत साबित करने के लिए ऊटपटांग कुतर्क दे रहे है तो कुछ इसे प्रधानमंत्री को बदनाम करने की साज़िश बता रहे हैं.
ग्लोबल हंगर स्ट्राइक के आंकड़े असली है या फर्जी ये तो सरकार जाने, लेकिन आप को यह बताना जरूरी है कि यह आंकड़े न सर्वे है और न अनुमान. यह विभिन्न सरकारों द्वारा जारी किए गए सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण मात्र है. बच्चों में कुपोषण शिशु मृत्यु जैसे अन्य आंकड़े सरकार द्वारा ही जारी किए जाते है. यह इंडेक्स उन पर ही आधारित है. अगर ग्लोबल हंगर इंडेक्स फर्जी है तो इससे यह भी साबित हो जाएगा कि सरकार ने लोकसभा विधान सभा मे जो आंकड़े पेश किए है वे सब फर्जी है.
भुखमरी का सम्बंध बढ़ती अर्थव्यवस्था से देश मे अमीरों की संख्या से नहीं है. बल्कि उत्पादन और वितरण की गैरबराबरी से है. भारत मे गरीब और अमीर के बीच बढ़ती खाई और विषमता इसका प्रमुख कारण है. देश की दौलत 5% कार्पोरेट्स के पास एकत्रित हो जाना अधिकांश नागरिकों की बदहाली का प्रमुख कारण है. इसलिए कहा जाता है कि भारत मे दो भारत रहते है एक गरीबों का एक अमीरों का. हम समाजवादी इस आर्थिक गैरबराबरी को खत्म या कम करने की बात कहते आये है. लेकिन हुक्मरान हमे अर्बन नक्सल कह कर इस मांग को नजरंदाज कर देते है.