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दुखों से बचना है तो वर्तमान में जीओः जैन मुनि डा.मणिभद्र

अतीत और भविष्य की चिंता ही कष्टों का प्रमुख कारण

महावीर भवन में बह रही भक्ति की गंगा

आगरा।राष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा कि व्यक्ति को वर्तमान में जीना चाहिए। अतीत का ध्यान करने और भविष्य की ओर देखने से कष्ट ही मिलता है। अपनी सोच को सकारात्मक रखोगे तो जिंदगी कि दिशा ही बदल जाएगी।
न्यू राजामंडी के महावीर भवन में जैन संतों का चातुर्मास कल्प आयोजित किया गया है। इसके तहत उत्तराध्यायन सूत्र का वाचन किया जा रहा है। जिसके आठवें अध्याय में जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कपिल कुमार नामक एक साधक की चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह व्यक्ति अतीत और भविष्य के चक्र में फंस जाता है और फिर सोच बदलने के बाद उसकी दिशा बदल जाती है।
जैन मुनि ने कहा कि अतीत की स्मृतियों से हमेशा दुख मिलता है। उनसे हमारा दुख बढ़ता है। अहंकार, लोभ की वृद्धि होती है। भविष्य की कल्पना से भी दुख मिलता है। जो अतीत में जीता है, वह भी दुखी रहता है। ज्योतिषी यदि यह कह दे कि 10 साल बाद तुम्हे कोई कष्ट आने वाला है तो हम अभी से दुखी हो जाएंगे। वह यह बता दे कि सुखद घड़ी दस साल बाद आएगी तो उस पर ध्यान नहीं देते। इसलिए अतीत और भविष्य को भूल को वर्तमान में जीवन जीना चाहिए।
जैन मुनि ने कहा कि लोगों को अहंकार है कि हम हैं तो ही काम होगा, वरना नहीं होगा। किसी के बिना घर, समाज, परिवार,देश नहीं चलेगा, यह लोगों का भ्रम है। राष्ट्र पहले चलता था, वर्तमान में चल रहा है। भविष्य में भी चलेगा। इसलिए अपने अहंकार को निकालना चाहिए।बुधवार की धर्मसभा में राजेश सकलेचा,नरेश चप्लावत,विवेक कुमार जैन,संजीव जैन,राजीव चपलावत,आदेश बुरड़, महावीर प्रसाद जैन,सुरेश जैन,सुलेखा सुराना,अंजली जैन आदि धर्मप्रेमी उपस्थित थे।