नई दिल्ली, : केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘यूनानी चिकित्सा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई): मूल अवधारणाएं, नैदानिक अनुप्रयोग और परिप्रेक्ष्य’ पर आयुष सभागार, जनकपुरी, नई दिल्ली में एक व्याख्यान का आयोजन किया।
प्रो. आसिम अली ख़ान, महानिदेशक, के.यू.चि.अ.प. ने अपने संबोधन में यूनानी चिकित्सा के तेजी से विकास तथा अनुसंधान गतिविधियों के सटीक परिणाम प्राप्त करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
एआई पर अपना व्यापक व्याख्यान देते हुए डॉ. खालिद रज़ा, सहायक प्रोफेसर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली ने यूनानी चिकित्सा में एआई को शामिल करने के विषय में अपना महत्वपूर्ण दृष्टिकोण साझा किया और छह प्रमुख पहलों का सुझाव दिया जिन में स्वचालित प्रश्नोत्तरी के लिए यूनानी चिकित्सा की विशेषज्ञ प्रणाली का निर्माण, एआई-संचालित नवीन औषधि विकास, मौजूदा यूनानी औषधियों का कम्प्यूटेशनल सत्यापन, यूनानी चिकित्सा में एआई-संचालित निदान विधियों का विकास, स्वभाव (मिजाज) के आधार पर निजीकृत यूनानी औषधि डिजाइन तथा खोज और यूनानी चिकित्सा का डिजिटलीकरण शामिल है।
डॉ. नाहीद परवीन, सहायक निदेशक (यूनानी), के.यू.चि.अ.प. द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ व्याख्यान संपन्न हुआ। डॉ. रितु करवासरा, अनुसंधान अधिकारी (क्लिनिकल फार्माकोलॉजी), के.यू.चि.अ.प. ने व्याख्यान का समन्वयन किया। के.यू.चि.अ.प. और दिल्ली/एनसीआर में उसके अधीनस्थ कार्यालयों के शोधकर्ताओं और अधिकारियों ने व्याख्यान में भाग लिया।