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पूरक आहार से बच्चे होते हैं सुपोषित

छह माह से 23 माह तक के 10.6 प्रतिशत बच्चों को ही दिया जाता है पर्याप्त पूरक आहार

  • पैकेज्ड फूड से बच्चा हो सकता है कुपोषित
  • छह माह के बाद बच्चे को दें प्राकृतिक ऊपरी आहार

संवाद:- दानिश उमरी

आगरा। जन्म से लेकर छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने के बाद बच्चे के विकास के लिए पूरक आहार देना आवश्यक है। ऊपरी आहार में बच्चे को प्राकृतिक खाना दें। इसमें बच्चे को फल-सब्जियां व अनाज का बनाया हुआ पेस्ट दें। ऊपरी आहार के तौर पर पैकेज्ड फूड न दें, इससे बच्चा कुपोषण की ओर जा सकता है।

जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) की आहार परामर्शदाता ललितेश शर्मा ने बताया कि पूरक आहार घर के बाहर नहीं मिलता, बल्कि यह घर की रसोई में ही मौजूद है। जब बच्चा छह माह का हो जाए तो उसे मां के दूध के साथ-साथ पूरक आहार देना भी शुरू कर दें । दो साल की उम्र तक बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान भी कराना है, ताकि वह सुपोषित रहे। उन्होंने कहा कि बच्चे को पैकेज्ड फूड न दें। इससे बच्चा उसी खाने को खाता है और अन्य प्राकृतिक खाने को नहीं खाता है। ऐसी स्थिति में कई बार बच्चे कुपोषण की ओर बढ़ने लगते हैं।

ललितेश ने बताया कि कई महिलाएं इससे अज्ञान होती हैं कि छह माह बाद बच्चे को क्या और कैसे खिलाना है| छह माह के बच्चे का जब आहार शुरू किया जाता है तो आहार का स्वरूप हलवे के जैसा होना चाहिए। उसे केला, सादी दाल, खिचड़ी, दलिया, आंटे से बना हलवा आदि खिलाना चाहिए। उसे 2-4 चम्मच खाना दो से तीन बार खिलाना चाहिए। बच्चे को एक-एक करके मसला हुआ फल, सब्जी, अनाज व दालें दें। साथ ही धीरे-धीरे खाने की मात्रा बढ़ाएं।

आहार परामर्शदाता ने बताया कि छह से आठ माह तक के बच्चे को पेस्ट जैसा खाना दें। नौ से 11 माह तक की उम्र के बच्चे को सलाद का टुकड़े जैसा चबाने वाला फूड देना शुरू कर दें, क्योंकि इस उम्र में बच्चे के दांत आना शुरू हो जाते हैं। खाना चबाने से उसके मसूड़ों की भी कसरत हो जाती है। बच्चे की उम्र एक साल होने पर उसे घर में बन रहे सभी प्रकार के खाने को देने की आदत डालें। उसे दाल, सब्जी, फल इत्यादि को नरम करके दें।

आहार परामर्शदाता ने बताया कि बच्चों को खाने में हो सके तो घी एवं तेल अवश्य दें। क्योंकि शरीर में बच्चे जब फैट पहुंचेगा तभी विटामिन-डी अच्छी तरह से अवशोषित हो पाएगा। जब विटामिन-डी पर्याप्त मात्रा में मिलेगा तो कैल्शियम अवशोषित हो पाएगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान बच्चे की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। इसलिए बच्चे को घी एवं तेल देना फायदेमंद है।

फतेहपुर सीकरी निवासी रानी की डेढ़ साल की बच्ची कल्पना ऊपरी आहार नहीं खाती थी। इस कारण वह कुपोषण का शिकार हो गई और आठ माह की बच्ची की तरह दिखने लगी। इस पर उसे एनआरसी में भर्ती किया गया। 15 दिन में जब उसे पूरक आहार दिया गया तो वह ठीक होने लगी। अब वह ठीक हो गई है।

जनपद की गुलामनगर निवासी बरखा ने बताया कि उनकी एक वर्षीय बेटी नायरा को उन्होंने क्षेत्र की आंगनवाड़ी नीरज कुशवाह के बताए अनुसार छह माह तक केवल स्तनपान कराया। जब बेटी छह माह की हो गई, इसके बाद उन्होंने पूरक आहार देना शुरू किया। उसे हलवा, खिचड़ी व सब्जियों को उबालकर पेस्ट बनाकर घी डालकर खिलाया। उनकी बेटी पूरी तरह स्वस्थ है।

इतने प्रतिशत बच्चों को ही मिला पूरक आहार

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच (2019-2021) के आंकड़ों के मुताबिक जिले में छह माह से आठ माह तक के 32.9 प्रतिशत बच्चों को स्तनपान के साथ पूरक आहार दिया गया। जबकि छह माह से 23 माह तक के कुल 10.6 प्रतिशत बच्चों को ही पर्याप्त पूरक आहार दिया गया।