केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला ने ‘गुमनामी बाबा’ के DNA नमूने पर रिपोर्ट देने से किया इनकार
नई दिल्ली ,गृह मंत्रालय (एमएचए) के अधीन आने वाले केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) ने गुमनामी बाबा के डीएनए नमूने की इलेक्ट्रोफेरोग्राम रिपोर्ट का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया है। गुमनामी बाबा को लेकर कुछ लोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस होने का दावा भी करते हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(ए),(ई) और 11(1) का हवाला देते नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर शोध कर रहे हुगली के कोन्नगर निवासी सयाक सेन ने आरटीआई दायर की थी। आरटीआई इस साल 24 सितंबर को दायर की गई थी।
आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1) में कहा गया है कि जिसके प्रकटीकरण से संप्रभुता और अखंडता या भारत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इंडिया टुडे से विशेष रूप से बात करते हुए सयाक सेन ने कहा कि सीएफएसएल ने उनकी आरटीआई को खारिज कर दिया, यह जवाब देते हुए कि वह तीन कारणों के आधार पर इलेक्ट्रोफेरोग्राम रिपोर्ट साझा नहीं करेगा।
एक इलेक्ट्रोफेरोग्राम वैद्युतकणसंचलन स्वचालित अनुक्रमण द्वारा किए गए विश्लेषण से परिणामों की एक साजिश है। एक इलेक्ट्रोफेरोग्राम डेटा का एक क्रम प्रदान करता है जो एक स्वचालित डीएनए अनुक्रमण मशीन द्वारा निर्मित होता है। वंशावली डीएनए परीक्षण और पितृत्व परीक्षण से परिणाम प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रोफेरोग्राम का उपयोग किया जा सकता है। मुझे आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि इलेक्ट्रोफेरोग्राम 3 कारणों से नहीं दिया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे सार्वजनिक करने से भारत की संप्रभुता और विदेशी राज्यों के साथ उसके संबंध प्रभावित हो सकते हैं। सेन ने अपने आरटीआई में यह भी पूछा कि उत्तर प्रदेश के सुदूर इलाके में रहने वाला एक व्यक्ति भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए इतना मायने क्यों रखता है और अगर उसका इलेक्ट्रोफेरोग्राम सार्वजनिक किया जाता है तो देश में हलचल मच जाएगी।
साभार , प्रभासाक्षी