तेलंगाना. आरएसएस मुस्लिम और दलित विरोधी हिंसा करवाता है और प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी संघ के समर्पित कार्यकर्ता हैं. इसलिए मुसलमानों और दलितों के बलात्कार और हत्या से जुड़े संघी तत्वों को जेल से रिहा करवाना मोदी सरकार अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी मानती है. इसी ज़िम्मेदारी के तहत मोदी सरकार ने क़ानून के विपरीत जाकर भी बिल्किस बानो के दोषियों को जेल से रिहा करवा दिया. यह बातें उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने स्पीक अप कार्यक्रम की 68 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बिल्किस के दोषियों की रिहाई को गुजरात जनसंहार के अन्य दोषियों की रिहाई से काट कर नहीं देखा जा सकता. आज यह सच्चाई है कि पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी के शब्दों में देश को शर्मसार कर देने वाले उस जनसंहार के लगभग सारे ही दोषी मोदी सरकार के आते ही जेलों से बाहर आ चुके हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि मुस्लिम समुदाय यह मान ले कि न्यायपालिका से भी उसे न्याय नहीं मिल सकता और इस समुदाय के खिलाफ हिंसा सामाजिक तौर पर स्वीकार्य हिंसा मान ली जाए. इसी रणनीति के तहत मुस्लिम महिलाओं के बलात्कारियों के समर्थन में कभी जुलूस निकाला जाता है तो कभी उनका माला पहना कर स्वागत किया जाता है. इस आपराधिक षड्यंत्र में दोषियों को न्यायपालिका से जबरन रिहा करा लेना नया अध्याय है.
उन्होंने कहा कि संघ चाहता है कि मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा को पूर्व में दलितों के साथ होने वाली हिंसा की तरह इतना संस्थाद्ध कर दिया जाए कि न उसे अपराध ही माना जाए और न वे खुद न्याय के लिए संघर्ष कर सकें. संघ की इस साज़िश को नाकाम करने का सिर्फ़ एक तरीका है कि मुसलमान अपने लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमलों को लेकर सचेत रहे और न्यायपालिका समेत सभी संवैधानिक संस्थाओं की कार्यशैली पर नज़र रखे और गलत पाए जाने पर उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाए.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को न्यायपालिका में सक्रिय सांप्रदायिक तत्वों पर पैनी नज़र रखनी होगी क्योंकि जो काम सरकार खुद नहीं कर पा रही है उसे न्यायपालिका के एक हिस्से के सहयोग से करवा रही है. उन्होंने कहा कि बिल्किस मामले में भी सरकार की यही कोशिश थी लेकिन सचेत लोगों द्वारा सवाल उठाने पर सरकार और न्यायपालिका दोनों आज कटघरे में खड़े हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने 18 से 28 अगस्त तक बिल्किस के दोषियों को दुबारा जेल भेजने के लिए प्रदेशव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाया था जिसमें 5 लाख लोगों ने हस्ताक्षर किया था. अगर दोषियों को दुबारा जेल नहीं भेजा गया तो फिर आंदोलन किया जाएगा.