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शहर के सबसे बड़े कचरा उत्पादों को बताया कचरा निस्तारण का वैज्ञानिक तरीका

जवाहर रंगमंच पर आयोजित सेमीनार के दूसरे दिन रेलवे, सीआरपीएफ, केंद्रीय कारागृह, जेटीआई, मिलिट्री स्कूल एवं महिला स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा

संवाद। मो नज़ीर क़ादरी

अजमेर । शहर के सबसे बड़े कचरा उत्पादक समूहों को उनके यहां निकलने वाले कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के विधि बताई। बुधवार को जवाहर रंगमंच पर आयोजित “ गार्बेज टू गोल्ड” विषय पर चार दिवसीय सेमीनार के दूसरे दिन रेलवे, सीआरपीएफ, केंद्रीय कारागृह, जेटीआई, मिलिट्री स्कूल, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, महिला स्वयं सहायता समूह, नगर निगम कर्मचारियों ण्सहित डेयरी मालिक, पशु पालक एवं अन्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस मौके संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा, महापौर श्रीमती बृजलता हाड़ा, नगर निगम आयुक्त एवं अजमेर स्मार्ट सिटी के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड और नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में गार्बेज टू गोल्ड विषय पर चार दिवसीय सेमीनार के मुख्य वक्ता सी श्रीनिवासन ( संसाधन व्यक्ति, एलएलआरएम परियोजनाएं, शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार ) ने सबसे ज्यादा कचरा उत्पादक समूहों को कचरे के निस्तारण के बारे में विस्तार से बताया। उन्होनें प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि बड़े संस्थान अपने यहां पर किस प्रकार वैज्ञानिक तरीके अपनाकर इसके निस्तारण की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर हम जिसे कचरा मानते हैं वह होता नहीं है। घर एवं संस्थान से निकलने वाले कचरे को प्रथक कर अपने आस पास के वातावरण को ना केबल प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं बल्कि इसे आय का माध्यम से भी बना सकते हैं। आमतौर पर हम सूखे एवं गीले कचरे को प्रथक करने के बजाए एक साथ एकत्र कर अपनी परेशानियों को ही बढ़ाते हैं। जबकि शुरूआत में ही इसे अलग कर लिया जाए तो हमें किसी प्रकार की परेशानी का सामना ही नहीं करना पड़ेगा।
कचरे के निस्तरण का हो विकेंद्रीकरण
श्रीनिवासन बताया कि हर दो किमी पर एसएलआरएम सेंटर बनाए जाएं। घर एवं संस्थान से एकत्र किए गए कचरे को डंपिंग यार्ड पर भेजने के बजाए सेंटर पर भेजा जाए। यहां पर कचरे को अलग- अलग किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सैलून की दुकान से निकलने वाले बाल काफी महंगे बिकते हैं इनके संग्रहण के लिए अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए।
सूखी पत्तियों एवं घास से बनाएं खाद्य
पेड-पौधों से गिरने वाले सूखे पत्तों का निस्तारण काफी मुश्किल होता है। आमतौर पर इनका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण के बजाए इन्हें जला दिया जाता है। जलाने से आस पास का वातावरण प्रदूषित होता है। उन्होंने इसके वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण के विधि बताई और इससे बनने वाले खाद्य का किस प्रकार उपयोग किया जाए इसके बारे में भी जानकारी दी।
हमें अपनी सोच में लाना होगा अंतर
नगर निगम के महापौर एवं अजमेर स्मार्ट सिटी के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि कचरे के निस्तारण करना कोई बड़ी बात नहीं है, इसके लिए हमें अपनी सोच में अंतर लाना होगा। उन्होंने कहा कि सेमीनार में रेलवे, जीसी-1, जीसी-2, जेटीआई, केंद्रीय कारागृह सहित अन्य बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया। उन्हें यहां पर प्रदान की गई जानकारी का लाभ होगा। वे भी अपने स्तर पर कचरे का निस्तरण कर सकेंगे।
स्टार्टअप ने दिया प्रेजेंटेशन
जयपुर से आए स्टार्टअप इको रेप के प्रतिनिधियों ने भी अपना प्रेजेंटेशन दिया। उन्हों कचने के सेग्रीगेशन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कचरे को सरलतम तरीके से अलग करते हुए उसके निस्तारण की जानकारी दी।