चार महीने में बो दिए जिन वाणी के बीजअब लहलहानी है उनकी फसल
चातुर्मास पूर्ण होने पर न्यू राजामंडी स्थानक से दी विदाई
चार महीने में बो दिए जिन वाणी के बीज अब लहलहानी है उनकी फसल
चातुर्मास पूर्ण होने पर न्यू राजामंडी स्थानक से दी विदाई
आगरा ।राष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि जब हम यहां आए थे तो सभी से अपरिचित थे। कोई हमें नहीं जानता था। चार महीने के चातुर्मास में सभी से संबंध बन गए। आज विदाई के समय ऐसा लग रहा है जैसे कि बेटी को विदाई दे रहे हैं, लेकिन साधु-संतों का संबंध उनसे व्यक्तिगत नहीं होता। उनके संबंध तो प्रवचनों, धर्म से होते हैं। उनके सिद्धांतों पर अमल करना ही उनके साथ रिश्ते निभाना जैसा है।
नेपाल केसरी, राष्ट्र संत डा.मणिभद्र महाराज का बुधवार को चातुर्मास समाप्त हो गया। न्यू राजामंडी के महावीर भवन से विदा होकर बच्चूमल एंड संस के सुरेश सुराना के आवास पर आ गए। विदाई से पूर्व उन्हे श्वेतांबर स्थानक वासी जैन संघ ने विदाई की चादर उड़ाकर जैन मुनियों को सम्मान सहित विदाई दी। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि साधु-संत तो व्यक्तियों के आदर्श होते हैं। भगवान महावीर से हम सबके 2500 साल पुराने संबंध हैं, उन रिश्तों को उनके सिद्धांतों के अनुसरण करके बनाए हुए हैं।
इसी प्रकार हमने चार महीने में जिन वाणी के जो बीज यहां बोए हैं, उन्हें पल्लवित करना ही हमारे साथ रिश्ते निभाने जैसा है। हमें भले ही भूल जाएं, लेकिन धर्म को नहीं भूलें। धर्म और परमात्मा के साथ श्रद्धा को बहुत मजबूत करना है। एक प्रसंग सुनाते हुए जैन मुनि ने कहा कि एक व्यक्ति मरणासन्न स्थिति में था। उसने अपनी चारों बहुओं को धान के दाने दिए। बड़ी बहु ने दाने फैंक दिए, सोचा जब मांगेंगे तो ला कर दे दुंगी। दूसरे नंबर की बहु ने अपने सुसर का प्रसाद समझ कर दाने खा लिए।
तीसरे नंबर की बहु ने दाने संभाल कर रख लिए। चौथे नंबर की बहु ने उन दानों को जमीन में बो दिया, जिससे चार बीज के हजारों पौधे हो गए। चार महीने बाद ससुर ने चारों बहुओं को बुलाया तो सबने अपनी-अपनी करतूत बता दी। इस पर ससुर ने सभी को उनकी अलग-अलग जिम्मेदारी दे दी। बड़ी बहू को घर की झाड़ू लगाने की जिम्मेदारी, दूसरी बहु को रसोई, तीसरी बहू को खजाना की जिम्मेदारी और चौथी बहु को घर की चाभी दे दी ।
यानि जो जिस काबिल था,उसे उन्होंने वह सौंप दी। जैन मुनि ने कहा कि अब आप सभी को जिन वाणी की फसल लहलहानी है। तभी हमारा चातुर्मास सार्थक रहेगा। बच्चूमल एंड संस के आवास पर उनका स्वागत किया गया। यहां उन्होंने प्रवचन में कहा कि पूर्व जन्मों के कारण पुण्य कर्मों का उदय होता है। सुख और दुख हमारे कर्मों का ही परिणाम हैं। इसलिए हर हालत में अच्छे कर्म करते रहने चाहिए। तभी हम सुख भोग सकते हैं।
इस अवसर पर सुरेश सुराना के निवास पर जीव दया के अंतर्गत छत पर निर्मित पक्षी विहार का शुभारंभ डॉक्टर मणिभद्र जी ने किया ।उनके साथ जैन मुनि पुनीत एवम विराग मुनि भी उपस्थित थे।इस अवसर पर अध्यक्ष अशोक जैन ओसवाल, मंत्री राजेश सकलेचा ,आदेश बुरड़, प्रेम चंद जैन ,विवेक कुमार जैन,सुरेंद्र चप्लावत, राजीव जैन, अजय वैभव जैन, सौरभ जैन, अमित जैन, सचिन जैन, अर्पित जैन ,अतिन जैन, राहुल दुग्गर, संजय चप्लावत सहित अनेक धर्मप्रेमी उपस्थित थे।