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पीएमएसएमए दिवस से मातृ स्वास्थ्य को मिल रहा बढ़ावा

आगरा। हर माह आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस से जनपद में मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा मिल रहा है। इसमें प्रसव पूर्व गर्भवतियों की जांच हो रही हैं और उच्च जोखिम होने की स्थिति भी पहले ही पता चल जाती है।

नगला धनी निवासी 25 वर्षीय शोभा ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उन्होंने पीएमएसएमए दिवस में अपनी जांच कराई तो हीमोग्लोबिन पांच निकला। उन्हें विश्वास नहीं हुआ तो निजी अस्पताल में भी जांच कराई। बाद में जीवनी मंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही डॉ. मेघना दवारा उन्हें आयरन सुक्रोज लगाया गया। इसके साथ ही डॉक्टर ने उन्हें हरी साग-सब्जियां, फल, अनाज खाने की सलाह दी और समय से अपनी दवाएं खाने को कहा। इसका फायदा यह हुआ कि प्रसव के वक्त तक उनका हीमोग्लोबिन 11.9 हो गया था। उनके प्रसव के दौरान कोई परेशानी नहीं हुई, वह और उनका बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

जीवनीमंडी निवासी अंजली ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उनका हीमोग्लोबिन आठ हो गया था। डॉक्टर द्वारा दी गई खाने-पीने की सलाह का पालन करने और समय से दवाएं खाने से उनका हीमोग्लोबिन 10.5 हो गया। उन्हें प्रसव के दौरान कोई परेशानी नहीं हुई। अंजली ने कहा कि पीएमएसएमए दिवस आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए वरदान है। यहां पर सभी जांचें व दवाएं मुफ्त मिल जाती हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद की स्वास्थ्य इकाइयों पर पीएमएसएमए दिवस पर दूसरी व तीसरी तिमाही वाली गर्भवतियों की एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा प्रसव पूर्व जांच की जाती है। इस अवसर पर उच्च जोखिम वाली गर्भवती (एचआरपी) का चिन्हांकन भी किया जाता है। यदि गर्भवती सीवियर एनीमिक पाई जाती हैं तो उन्हें विधिवत आयरन सुक्रोज इंजेक्शन दिया जाता है। उन्होंने बताया कि बुधवार को भी जनपद के 74 स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच की गई।

एसीएमओ आरसीएच/ अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि पीएमएसएमए दिवस के दौरान सभी दूसरी व तीसरी तिमाही वाली गर्भवती की प्रसवपूर्व जांच, यूरिन, हीमोग्लोविन, शुगर, सिफलिस , वजन, ब्लड प्रेशर, ब्लड ग्रुप, एचआईवी और कोविड -19 की जाँच की जाती है।

जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता संगीता भारती ने बताया कि अक्टूबर माह में पीएमएसएमए दिवस पर 4412 गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच की गई। इनमें से 292 उच्च जोखिम वाली गर्भवतियों का चिन्हांकन करके उनका प्रबंधन किया गया।