लखनऊ. अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि संस्थाओं के राजनीतिक इस्तेमाल के लिए पहले संस्थाओं की गरिमा को गिराना ज़रूरी होता है. इसीलिए भाजपा ऐसे लोगों को संस्थाओं में नियुक्त करती है जिससे उन संस्थाओं की छवि खराब हो जाए. इसी सिद्धांत के अनुसार मोदी सरकार ने लॉ कमीशन में चेयरमैन समेत अन्य सदस्यों की नियुक्ति की है.
कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पिछले लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान ने कहा था कि समुदायों के पर्सनल लॉ के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. 2018 में उनके रिटायरमेंट के बाद से मोदी सरकार ने 22 वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष पद पर किसी को नियुक्त ही नहीं किया था. अब ऐसा लगता है कि सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सरकार ने संघ की विचारधारा से जुड़े लोगों को नियुक्त किया है.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार शायद कर्नाटक के पूर्व मुख्य न्यायधीश जस्टिस ऋतु राज अवस्थी के रिटायर होने का इंतज़ार कर रही थी जिन्होंने संघ के एजेंडे को सूट करने वाले कर्नाटक की भाजपा सरकार द्वारा कॉलेजों में लगाए गए हिजाब बैन को सही ठहराया था. वहीं दूसरे सदस्य केरला हाई कोर्ट के पूर्व न्यायधीश केटी संकरन वो पहले जज थे जिन्होंने लव जिहाद की आरएसएस की झूठी अफवाह को कानूनी जामा पहनाने की कोशिश की थी. जिसे हाई कोर्ट की ही दूसरी बेंच ने खारिज़ कर दिया था.
उन्होंने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य होगा कि लॉ कमीशन को अब ऐसे लोग नियंत्रित करेंगे जिनके फैसलों ने विवाद उत्पन्न किए और जिन्हें खुद उपरी अदालतों ने खारिज़ किया हो.