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शिक्षक उन्नयन कार्यक्रम के दूसरे दिन हिंदी साहित्य की भारतीय ज्ञान परंपरा पर हुई परिचर्चा

आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्ववि्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ के सात दिवसीय शिक्षक उन्नयन कार्यक्रम के दूसरे दिन आज दिनांक 12.11.22 को कार्यशाला के प्रथम सत्र में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के डॉ. आशुतोष से हिंदी साहित्य की भारतीय ज्ञान परंपरा पर परिचर्चा की। परिचर्चा में उन्होंने साहित्य के गूढ़ रहस्यों को बताया।, जिसमें विशेष रूप से उन्होंने साहित्य को हितैषी भावना से ओत-प्रोत प्रतिस्पर्धा माना।

उन्होंने प्रतिभागियों को भूत, वर्तमान व भविष्य के उदाहरणों के माध्यम से भविष्य के प्रति चिंतन करने व नवीन शोध कार्यों के लिए प्रेरित किया। भाषा विज्ञान के दृष्टिकोण को देखते हुए उन्होंने संस्कृत में हिंदी साहित्य की सूक्तियों के माध्यम से भाषा अध्ययन संबंधी वर्तमान में प्रासंगिकता और भविष्य में स्थिरता से अवगत कराया। डॉ. आशुतोष का मानना है कि कवि व साहित्य सदैव अमर होते हैं।

जब-जब कबि का साहित्य पढ़ा जाता है, कवि व साहित्य जीवित हो जाते हैं। उन्होंने कबीर, इलिमड, जायसी, तुलसीदास आदि कवियों क उदाहरणों के साथ साहित्य की विशेषताएं बताई एवं कोषग्रंथों की संदर्भ सूची भी प्रतिभागियों को उपलब्ध कराई। डॉ. आशुतोष ने प्रो. राधालल्लभ त्रिपाठी द्वारा रचित अभिनव काव्य अलंकार सूत्र वर्णित नवीन कार्य लक्षणों, नवीन काव्य अलंकारों के उदाहरण के माध्यम से प्रतिभागियों को अवगत कराया, जिसके द्वारा नूतन शोधकार्यों के लिए प्रतिभागियों को प्रेरित किया।


द्वितीय सत्र में आगरा कालेज के प्रोफेसर अरुणोदय वाजपेयी ने राजनीतिक विज्ञान की भारतीय ज्ञान परंपरा को सुदृढ़ उदाहरणों द्वारा अपने पक्ष रखे। व्याख्यान की शुरुत वेद, वेदांगों एवं उपनिषदों के माध्यम से दिया, दिसमें एतैरम उपनिशद को राजनीति विज्ञान का स्त्रोत बताया। भाज्ञवल्कम स्मृति के माध्यम से संपत्ति के अधिकारों को बताया।

उन्होंने भारतीय दंड प्रक्रिया को पाश्चात्य दंड प्रक्रिया का तुलनात्मक अध्ययन कर निष्कर्ष बताया। कार्यक्रम समन्वय डॉ. नीलम यादव ने प्राचीन परंपरा शैली पर प्रकारश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वर्षारानी ने किया। कार्यक्रम में निदेशक प्रो. यूसी शर्मा, प्रो. प्रदीप श्रीधर, डॉ. रणजीत भारती, डॉ. आदित्य, डॉ. केशव, डॉ. राजकुमार, डॉ. रवींद्र गोस्वामी, डॉ. प्रदीप वर्मा, कृष्ण कुमार कनक आदि मौजूद रहे।