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विवि के शिक्षा उन्नयन कार्यक्रम के तीसरे दिन हुई साहित्य में निहित सामाजिक कल्याण की भावनाओं की चर्चा

आगरा। डॉ. भीमराव आंबडकर विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ में आयोजित सप्तदिवसीय शिक्षक उन्नयन क्रार्यक्रम के तीसरे दिन प्रथम सत्र में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डा.अभिमन्यु ने संस्कृ में साहित्य में, निहित सामाजिक कल्याण की भावनाओं को बताया। संस्कृत की सूक्तियों के माध्यम से भाषाविज्ञान की पुरातनता एवं उद्भव विकास के क्रमिक अध्ययन की बात कही एवं प्रतिपादित किया कि भाषाविज्ञान की सभी विधाएं संस्कृत साहित्यों में निहित है।

एवं शोधार्थियों को उन्हीं साहित्यों के गूढ़ रहस्यों को पहचान कर अपने शोध विशयों को समझने एवं सुद्ध शोध करने हेतु प्रेरित किया। दयालबाग शिक्षण संस्थान की डॉ. नशित ने ब्राह्मण ग्रंथों के माध्यम से चरैवति-चरैवत के सिद्धांत अंह ब्रह्मस्मि, कणेपनिषद के यम नचिकेता संवाद के माध्यम से दान के महत्व को बताया। उठो, जागो और श्रेष्ठ रुपुषों के साथ रहने का संदेश दिया। रामायण के प्रसंग के माध्यम से राम के साथ भरत, लक्ष्मण का भ्रात प्रेम दर्शाया।


द्वितीय सत्र में बलवंत विद्यापीठ रूरल संस्थान के प्राचार्य प्रो. सीमा भदौरिया ने नई शिक्षा प्रणाली 2020 में निहित अंतर्विषयक अध्ययन से अपने व्याख्यान की शुरुआत कर इसके लाभों की जानकारी दी। वैदिक ग्रंथों, वेदांगों, उपनिषदों के उदाहरणों के साथ वेदों व हिंदी संस्कृत साहित्य में निहित पर्यावरण चेतना व उपयोगिता के बारे में बताया। प्रो. भदौरिया ने इंही साहित्यों में छुपी हुई अभिनव शोध कार्यों को करने की प्रेरणा दी।

उन्होंने रामायण, महाभारत के समय में सूक्ष्मजैविक विज्ञान, नैनोटैक्नोलाजी एवं सतत विकास की अवधारणाओं के बारें में जागरूक किया। जैविक खेती, क्रत्रिम खाद के उपयोह की उपयोगिता व किसानों को प्रेरित करने की बात रखी। विज्ञान एवं साहित्य के अन्वेषण करने का संदेश दिया। पर्यावरण की संपूर्ण परिषात्रा में जैविक, अजैविक, घटकों के साथ सामाजिक घटकों में शोद खरने के लिए प्रेरित किया।

समन्वयक डॉ. नीलम यादव, सह समन्वयक डॉ. रणजीत भारती, डॉ. वर्षारानी, डॉ. आदित्य, डॉ. रवींद्र गोस्वामी, डॉ. केशव, कृष्णकुमार आदि मौजूद रहे। संचालन आउट स्टेशन समन्वयक डॉ. रवींद्र गोस्वामी ने किया। संस्थान निदेशक प्रो. यूसी शर्मा, प्रो. प्रदीप श्रीधर ने प्रतिभागियों को शोध गुणवत्ता की जानकारी दी।