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सेंट जॉन्स कॉलेज के हिंदी विभाग की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शशि सिंह का काव्य संग्रह ‘उन्मुक्त उड़ान’ लोकार्पित

जब भी उठा सैलाब दिल में, नदिया बन बही कविता..

शशि की रचनाओं में चंद्रमा की चाँदनी जैसी शीतलता के साथ भावनाओं का ज्वार अंतर में लाने की क्षमता भी है: डॉ. कमलेश नागर

इन कविताओं में प्रस्फुटित हुई है सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता: डॉ. सुषमा सिंह

सुख-दुख की अनुभूतियाँ शब्दों के रूप में हो जाती हैं प्रस्फुटित: डॉ. शशि सिंह

आगरा। सेंट जॉन्स कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा हिन्दी विभाग की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शशि सिंह के काव्य संग्रह ‘उन्मुक्त उड़ान’ का लोकार्पण कॉलेज सभागार में मंगलवार को किया गया।
कार्यक्रम अध्यक्ष सेंट जॉन्स कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर एसपी सिंह, मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीतकार डॉ. सोम ठाकुर, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती शांति नागर, समीक्षक व डीईआई दयालबाग की पूर्व डीन डॉ. कमलेश नागर और समीक्षक व आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ. सुषमा सिंह, कार्यक्रम संयोजक एवं संचालक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पुनीता पांडे पचौरी, लोकार्पित कृति की रचनाकार डॉ. शशि सिंह और डॉ. नरेश कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से काव्य संग्रह का विमोचन किया।


सेंट जॉन्स कॉलेज के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. श्री भगवान शर्मा, वर्तमान विभागाध्यक्ष डॉ. सुनीता शर्मा, रमा वर्मा’, राजकुमारी चौहान, पूनम तिवारी, राजीव फिलिप, डॉ. दीप्ति, डॉ. संजय सिंह, रमा रश्मि, डॉ. मधु भारद्वाज, आभा चतुर्वेदी, अशोक अश्रु, सुशील सरित, अशोक रावत, ज्योत्स्ना रघुवंशी, डॉ. ज्योत्सना शर्मा, निखिल प्रकाशन के मोहन मुरारी शर्मा, भरत दीप माथुर, मानसिंह मनहर, रीता शर्मा, अलका अग्रवाल, रेखा गौतम और संगीता अग्रवाल भी प्रमुख रूप से मौजूद रहीं। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पुनीता पांडे पचौरी ने संयोजन और संचालन किया। डॉ. जैस्मिन ने आभार व्यक्त किया। शुरू में महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा सुमधुर स्वागत गान प्रस्तुत किया गया।

उन्मुक्त उड़ान को मिली सबकी सराहना..
समारोह में लोकार्पित कृति की समीक्षा करते हुए डॉ. कमलेश नागर ने कहा कि शशि की रचनाओं में चंद्रमा की चाँदनी जैसी शीतलता के साथ भावनाओं का ज्वार अंतर में लाने की क्षमता भी है।
डॉ. सुषमा सिंह ने अपनी समीक्षा में कहा कि इन कविताओं में रचनाकार का प्रकृति प्रेम, बचपन की स्मृतियों से जुड़ाव, जीवन मूल्यों की मीमांसा करने की प्रवृत्ति और सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता प्रस्फुटित हुई है। इनकी विशेषता आशावादी स्वर है।
डॉ. शशि सिंह ने ‘जब भी उठा सैलाब दिल में, नदिया बन बही कविता’ के माध्यम से अपने मन के भाव व्यक्त करते हुए कहा कि जब भी हृदय में सुख-दुख की अनुभूतियाँ होती हैं तो वे शब्दों के रूप में प्रस्फुटित हो जाती हैं।