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एसएलआरएम प्रोजेक्ट अजमेर का पहला कम्पोस्ट बेड तैयार


60 दिन में तैयार होगा कम्पोस्ट खाद, निगम को होगी आय

संवाद। मो नज़ीर क़ादरी

अजमेर। स्वच्छ अजमेर मिशन-2024 के तहत अजमेर नगर निगम द्वारा एकीकृत एवं टिकाऊ ठोस एवं तरल संसाधन प्रबंधन के अंतर्गत सुभाष उद्यान में तैयार किये गए कम्पोस्ट बेड का बुधवार को मेयर श्रीमती ब्रजलता हाड़ा ने की पूजा अर्चना की। इस कम्पोस्ट बेड से 60 दिन के भीतर खाद तैयार हो जाएगी। मेयर ने बताया कि शहर के एकत्र किए जाने वाले सूखे पत्ते एवं घास को ट्रेंचिंग ग्राउंड पर नहीं भेजा जाएगा। सूखे पत्ते एवं घास को उपयोग में लाकर खाद तैयार कर निगम को आय होगी। अजमेर भी स्वचछ रहेगा। इस मौके पर नगर निगम आयुक्त सुशील कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
नगर निगम आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि एसएलआरएम प्रोजेक्ट का पहला कम्पोस्ट बेड सुभाष उद्यान में तैयार किया गया है। शहर के विभिन्न पार्कों से लगभग 40 ट्रोली सूखी पत्तियां एवं घास को एकत्र किया गया था। सी श्रीनिवासन ( संसाधन व्यक्ति, एलएलआरएम परियोजनाएं, शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार ) के मार्ग दर्शन में 12 फीट लंबा और 6 फीट चौड़ा सुखी घास एवं पत्तियों को गोबर के मिश्रण में मिलाकर बेड बेड बनाया गया है। जिसकी ऊंचाई सात फीट है। निगम आयुक्त सुशील कुमार ने सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एवं सेंटर फॉर रिसर्च स्कीम एंड पॉलिस के आरएस जुलानिया एवं शेखर को प्रोजेक्ट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसएलआरएम के तहत नगर निगम की ओर से पिछले दिनों कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
60 दिन में तैयार होगा खाद
आमतौर पर सूखे पत्तों एवं घास को जला दिया जाता है अथवा ट्रेंचिंग ग्राउंड में भेज दिया जाता है। लेकिन एसएलआरएम प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम ने पहल करते हुए सूखे पत्तों एवं घास को खाद में बदला जा रहा है। महापौर श्रीमती ब्रज लता हाड़ा एवं नगर निगम आयुक्त श्री सुशील कुमार की पहल पर सुभाष में कम्पोस्ट बेड तैयार किया गया है। शहर के विभिन्न उद्यानों से करीब 40 ट्रॉली सूखे पत्तों एवं घास एकत्र किए गए। एकत्र किए सूखे पत्तों एवं घास की छंटाई के दौरान सूखी लकड़ियां एवं अन्य प्लास्टिक के सामान को अलग-अलग किया गया।
इस प्रकार होगा तैयार खाद
सी श्रीनिवासन के मार्ग दर्शन में सूखे पत्तों एवं घास को गोबर के पानी में उन्हें गीला किया गया। जिससे उसमें उपयोगी बेक्टिरिया की तादात बढ़ जाए। अब इस मिश्रण से स्ट्रेक्चर तैयार कर गिले किए पत्तो एवं घास की परत दर परत का ढांचा तैयार किया गया। इसके बाद जूट की बोरी से ढक दिया गया। फिर इस पर पानी का छिडकाव किया गया। तापमान एवं नमी को बनाए रखने के लिए डिजिटल थर्मामीटर भी लगाया गया है। सी श्रीनिवासन ने बताया कि शुरूआती दिनों में यह तापमान बढ़ता जाएगा, लेकिन कुछ दिनों बाद यह स्थिर होगा और अंदर एवं बाहर का तापमान जब बराबर आने लगेगा तो खाद बनकर तैयार हो जाएगी।
अन्य पार्कों में भी लागू होगा यह मॉडल
नगर निगम आयुक्त सुशील कुमार ने बातया कि इस प्रकार का मॉडल शहर के अन्य पार्कों में उपयोग में लाया जाएगा। जिससे पार्क में फैले सुखे पत्ते एवं घास को उपयोग में लाया जा सकेगा।