कंगारू मदर केयर से बीमार बच्चों को मिल रहा लाभ
जिला महिला अस्पताल की केएमसी यूनिट में सिखाया जा रहा केएमसी का तरीका
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आगरा।सीमा (बदला हुआ नाम) ने 1850 ग्राम के बच्चे को जन्म दिया। उसे जन्म के बाद ही हाइपोग्लेसिमिया (शुगर का स्तर कम होना) की शिकायत हो गई। इस कारण सीमा व उनके बच्चे को जिला महिला अस्पताल (लेडी लॉयल) के कंगारू मदर केयर (केएमसी) यूनिट में एडमिट कर केएमसी करना बताया गया। तीन दिन के भीतर ही बच्चे का वजन बढ़ने लगा, वह मां का दूध पीने लगा और उसके शरीर का तापमान भी स्थिर होने लगा। अब बच्चा 1984 ग्राम हो गया है और स्वस्थ है।
इसी तरह से बीना (बदला हुआ नाम) का बच्चा भी लो बर्थ वेट (एलबीडब्लू) कैटेगरी में जन्मा, उसे निमोनिया की शिकायत हुई उसे भी केएमसी वार्ड में रखा गया। अब बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार है।
जिला महिला अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. खुशबू केसरवानी ने बताती हैं कि कंगारू मदर केयर ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिये, बच्चों के वजन को बढाया जा सकता है, साथ ही यह शरीर का तापमान व श्वास प्रक्रिया को स्थिर रखने में सहायक होता है| इसमें मां बच्चे को अपने से इस तरह से चिपकाकर रखती हैं जैसे कंगारू अपने बच्चे को अपने शरीर से चिपकाकर रखता है। केएमसी में मां बच्चों को छह से आठ घंटे तक अपनी त्वचा से लगाकर रखती हैं। इससे बच्चे और मां का जुड़ाव बढ़ता है। बच्चा मां की खुशबू को पहचानने लगता है। मां बच्चे की धड़कन को पहचानने लगती है। इससे मां को दूध भी आने लगता है। इससे छह माह तक केवल स्तनपान भी सुनिश्चित होता है। उन्होंने बताया कि जब बच्चे का वजन ढाई किलोग्राम हो जाता है तो बच्चा वातावरण में सर्वाइव करने लायक हो जाता है।
डॉ. खुशबू ने बताया कि जिला महिला अस्पताल में जन्म लेने वाले औसतन 15 से 18 प्रतिशत बच्चे कम वजन के होते हैं। इन्हें केएमसी यूनिट में रखा जाता है। केएमसी में मिले प्रशिक्षण को मां घर पर जाकर भी अपनाती हैं। इससे बच्चे की सेहत भी स्वस्थ रहती हैं। इसके साथ ही जिन मां को दूध नहीं आता है उन्हें दूध आने की समस्या भी दूर हो जाती है। इसके अलावा यदि माँ कंगारू मदर केयर करने में असमर्थ है तो अन्य सदस्य भी इसको कर सकते हैं|
कंगारू मदर केयर के फायदे
– बच्चे का तापमान स्थिर रहता है
– मां और बच्चे का जुड़ाव बढ़ता है
– बच्चे की ग्रोथ तेजी से होती है
– नवजात का वजन तेजी से बढ़ता है
– मां को दूध आने लगता है