आगरा काॅलेज,आगरा की स्थापना के दो सौ वर्ष पू्र्ण होने के उपलक्ष्य के अवसर पर आयोजित समारोह में आज रूपांतर नाट्य मंच गोरखपुर द्वारा भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले और नटसम्राट नाम से विभूषित भिखारी ठाकुर के जीवन और कृतित्व पर केंद्रित नाटक कहत भिखारी का मंचन किया गया।यह मंचन कालेज प्रांगण में स्थित पं.गंगाधर शास्त्री भवन प्रेक्षागृह में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित दर्शकों के बीच हुआ जिन्होंने बोलीगत भिन्नता के बावजूद नाटक का आनन्द लिया और इसकी सराहना की।
विदित हो कि रूपांतर नाट्य मंच का गठन विख्यात रंगकर्मी नाटककार और अकादमिक प्रोफेसर गिरीश रस्तोगी द्वारा लगभग पांच दशक पूर्व किया गया था। रूपांतर नाट्य मंच महिला द्वारा स्थापित देश की कुछ गिनी चुनी संस्थाओं में शामिल है जिसने गंभीर और मौलिक नाटक के मंचन को अपना उद्देश्य बनाया है।
नाटक कहत भिखारी का लेखन वरिष्ठ रंगकर्मी अपर्णेश मिश्र और निर्देशन सुनील जयसवाल ने किया है। विभिन्न दृश्यों में संयोजित यह नाटक भिखारी ठाकुर के जीवन और रंगमंच के लिए किए जाने वाले उनके संघर्षों की कलात्मक अभिव्यक्ति है। भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी नाट्य कर्म को जनजीवन के साथ जोड़ते हुए शास्त्रीय मानक प्रदान किए और उसे अश्लीलता और फूहड़पन से मुक्त किया। नाटक में भिखारी ठाकुर के युवावस्था और वृद्धावस्था को बहुत ही खूब खूबसूरती से संयोजित किया गया है। उनकी वृद्धावस्था का पात्र एक सूत्रधार का भी काम करता है जो जीवन संघर्षों और भोजपुरी लोक विधा की चुनौतियों के बीच सच्चे रंगकर्म को स्थापित करने की जद्दोजहद में लगा रहता है। भिखारी ठाकुर के गांव में रंगमंच की शुरुआत के दृश्य को निर्देशक ने इतनी कलात्मक ऊंचाई और बारीकी से प्रस्तुत किया है जो दर्शकों के सामने मनोरंजक तरीके से त्रासदी को मूर्त कर देता है।
नाटक में भिखारी ठाकुर की पत्नी के रूप में शिवांगी पाठक,युवा भिखारी के रूप में विवेक श्रीवास्तव और विभिन्न नाटकों और ग्रामीणों के रूप में निशिकांत पांडेय,हरिकेश पांडेय,मनीष कुमार, सृष्टि,सनोज गौतम, प्रदीप सिंह,पवन कुमार, सोमनाथ शर्मा और श्रेयांशी श्रीवास्तव ने बहुत ही प्रभावशाली अभिनय किया और दर्शकों की तालियां बटोरी।
इस नाटक का एक अन्य सशक्त पक्ष संगीत है जिसे शगुन श्रीवास्तव और हर्ष कुमार ने दिया। संगीत निर्देशन युवा रंगकर्मी और संगीतकार आदित्य राजन का था।
भोजपुरी गानो की लय तथा धुन की त्रुटि विहीन प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
निर्देशक ने दृश्यों के अनुरूप संगीत का चयन किया, जिससे संगीत कथानक को आगे बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बनकर उभर गया है। यह नाटक की मजबूती ही नहीं दर्शकों के लिए आकर्षण का एक अन्य कारण भी बन गया।
राजनाथ वर्मा ने अपनी प्रकाश परिकल्पना से नाटक की दृश्यों के अनुरूप प्रभाव पैदा किया, जिसकी सराहना वहां उपस्थित रंग समीक्षकों ने की।
कालेज के प्राचार्य डॉ अनुराग शुक्ल ने कहा कि इस प्रकार की प्रस्तुति उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक एकीकरण और भाषाई समन्वय को मजबूत करती है साथ ही रूचि का परिष्कार भी करती है।
कार्यक्रम में आरबीएस कालेज के प्राचार्य प्रो.विजय श्रीवास्तव , सेंट जॉन्स कालेज के प्राचार्य प्रो. एसपी सिंह, डॉ.खुराना, राजेश उपाध्याय, डॉ.निशांत चौहान, डॉ.क्षमा चतुर्वेदी, डॉ.कल्पना चतुर्वेदी, डॉ.स्मिता चतुर्वेदी, डॉ रचना सिंह, डॉ.आनंद पांडे, डॉ. के. पी. तिवारी , डॉ.अमित अग्रवाल, डॉ.निधि, डॉ.गौरव प्रकाश इत्यादि उपस्थित थे।