संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारीप्रिंसी मौर्या को शासन के निर्देशों की अवहेलना भारी पड़ गई। विभाग के महानिदेशक नें गंभीर कदाचरण मानते हुये उनसे स्पष्टीकरण तलब कर लिया है। इससे बेसिक शिक्षा अधिकारी की परेशानी बढ़ गई है। मामला कैसे सुलझे इसके लिये यहां आपने चाटुकार कर्मचारियों एवं अधिकारियों से गुफ्तगू औऱ विचार -विमर्श शुरू हो गया है।
दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक विजय किरण आनंद नें परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प औऱ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में विभिन्न योजनाओं की प्रगति के अलावा अन्य प्रोज्कटों की समीक्षा के लिये बैठक बुलाई थी। इसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी स्वंय पहुंचने से कन्नी काट गई औऱ अपना प्रतिनिधि भेज दिया।
विभागीय सूत्रों के अनुसार यहां जिले में कायाकल्प योजना जिसके तहत परिषदीय विद्यालयों का सुंदरीकरण एवं आधुनिक करण होना है वह कथित रूप से भ्रष्टाचार की शिकार है। यही दुर्दशा कस्तूरबा गांधी विद्यालयों का भी है। इनमें जमकर आंकड़ेबाजी है! हकीकत का आईना कुछ औऱ दर्शाता है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रिंसी मौर्या कथित रूप से इसी जवाब देही से बचने के लिये स्वंय समीक्षा बैठक में न जाकर अपना प्रतिनिधि भेज दिया। उनके पास आधी -अधूरी जानकारी थी। महानिदेशक के सवालों पर वह समुचित जानकारी नहीं दे पाये। फिर क्या था? महानिदेशक नें बेसिक शिक्षा अधिकारी की अनुपस्थित को घोर लापरवाही औऱ कदाचरण मानते हुये स्पष्टीकरण तलब कर लिया।