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डीएम दीपा रंजन की न्याय प्रियता का बजा डंका: मुर्दा व्यक्ति साबित हो गया जिंदा

संवाद -विनोद मिश्रा
बांदा। कमाल भरी आश्चर्यजनक खबर। जिसमें डीएम दीपा रंजन की पहल पर मुर्दा व्यकि जिंदा साबित हो गया। डीएम दीपा की न्याय प्रियता का डंका बज गया। जिंदा को मुर्दा बता कर अपनों नें हड़प ली थी जमीन। अदालती दांव पेंच में अपने पिता को जिंदा साबित करने में युवक को 14 साल लग गए। अपनों से धोखा खाये युवक की संघर्षों की यह कुटिल दास्तां कालिंजर थाना क्षेत्र के सकतल गांव की है। यहां के मंगल ने आखिरकार अपने पिता को जिंदा साबित करा ही दिया। कालिंजर थाना क्षेत्र के सकतल गांव निवासी शेरा (69) की पत्नी संपत की मौत 1993 में हो गई थी।

इसके बाद शेरा अपने पुत्र मंगल को लेकर फरीदाबाद चला गया। वहां मजदूरी करके पुत्र को पाला। पढ़ाने की कोशिश की गई, लेकिन वह कक्षा चार से आगे नहीं पढ़ पाया। वर्ष 2008 में शेरा बेटे मंगल को लेकर गांव पहुंचा। तब पता चला कि उसकी जमीन शेरा की बहन बेटीबाई ने अपने नाम दर्ज करा ली है।
उसने फर्जी दस्तावेजों से शेरा को मृत दर्शा दिया। बेटीबाई महोबा के कुलपहाड़ स्थित जैतपुर में ब्याही है। मंगल ने अपनी बुआ के घर पिता को मृत घोषित करने की शिकायत की। बेटीबाई के परिवार ने उसे भगा दिया। तब मंगल ने कानूनी लडा़ई शुरू की।
2008 में उसने तहसीलदार न्यायालय में वाद दायर किया। कई तारीखों के बाद नई डीएम दीपा रंजन की तैनाती हुई। वह पिता को लेकर उनसे फरियाद करने पहुंचा। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार डीएम के हस्तक्षेप पर 11 नवंबर 2022 को तहसीलदार न्यायालय ने फैसला उनके पक्ष में सुनाया।
मंगल ने कहा कि पिता को जिंदा साबित करना था। पर अब तक उसका हक नहीं मिला है। बुआ ने खतौनी संख्या 1407-1412 खाता संख्या 222 की जमीन अपने नाम वरासत कराई थी। वरासत के बाद जमीन बेच दी थी। अब उस जमीन पर दूसरे का कब्जा है। वरासत में गाटा संख्या में पिता का नाम चढ़ गया है।
इस संदर्भ में डीएम दीपा रंजन का कहना है कि तहसीलदार कोर्ट से फैसले के बाद मंगल के पिता शेरा के नाम जमीन चढ़ गई है। जमीन वापस दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।