संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। पीडब्लूडी प्रांतीय खंड सड़कों को गढ्ढा मुक्ति के नाम पर भ्रष्टाचार की जो कथित रणनीति बनाई वह दुस्साहस पूर्ण चौंकाने वाली है। पाठक गण भी इसे जान हैरानी में पड़ जायेगे। जानिये कि इन सड़कों की निविदाएं कैसे कर “बंदर बांट की नाच मेरी छमिया” का इतिहास रचा जा रहा है प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग द्वारा गड्ढा मुक्ति के लिएnबांदा-बहराइच राज्य मार्ग की सात लाख, बांदा-बबेेरू तिंदवारी राज्य मार्ग की चार लाख, फतेहपुर-बबेरू-अतर्रा-नरैनी-करतल राज्य मार्ग की पांच लाख, जनपदीय मार्ग बबेरू की 4.50 लाख, बडोखर खुर्द मार्ग की तीन लाख, ग्रामीण मार्ग कमासिन की छह लाख, बबेरू की आठ लाख, बिसंडा की तीन लाख, बडोखर खुर्द की 4 लाख की निविदाएं हुई।
यह निविदाएं मानक से 35 फीसदी कम दरों पर की गई हैं। यानि सड़क के मरम्म्तीकरण में महज 34 लाख खर्च होंगे।
सरकारी धन का बंदर बांट करने का यह कोई नई रंगरेलियां नहीं हैं।”भ्रष्टाचार की छमियां’ नें पहले भी “ठुमके लगाये हैं”।
जनपद की बांदा-बबेरू सड़क निर्माण के लिए शासन ने 44 करोड़ का बजट जारी किया था। विभाग ने महज आठ लाख का काम कराया और शेष राशि अतिरिक्त मद में दिखाकर हजम कर ली। इसके अलावा अन्य कई सड़कों में मरम्मतीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई।
शिकायत पर पिछले दिनों महालेखा परीक्षक (सीएजी) की छह सदस्यीय टीम ने जांच की। उधर, शासन के आदेश पर आयुक्त आरपी सिंह ने कमेटी का गठन कर जांच कराने के आदेश दिए। लोकनिर्माण विभाग प्रांतीय खंड के “अधिशाषी अभियंता राज मुथिरिया घपले की बह रही धारा” के आरोपों से “मुकर” जाते है। उनके अनुसार निविदाएं संभावित आंकलन के आधार पर की जाती हैं। बाद में निर्माण का बजट बढ़ जाता है। इसीलिए बजट की शेष राशि शासन की गाइड लाइन के मुताबिक वापस नहीं की गई। गड्ढा मुक्ति का काम लगभग पूरा हो गया है। वह पेमेंट देख समझकर कर रहे हैं।