अन्य

डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में पांच दिवसीय कथक कार्यशाला का आगाज़

आगरा। डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के संस्कृति भवन ललित कला संस्थान में संस्कृति सभागार में आज स्पिकमैके संस्थान के सहयोग से कथक की पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशुरानी के मार्गदर्शन में और प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा तथा ललित कला संस्थान के निदेशक प्रोफेसर संजय चौधरी और राजा मानसिंह तोमर, संगीत कला विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रोफेसर लवली शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

मां सरस्वती की प्रतिमा पर मशहूर कथक नृत्यांगना मऊमाला नायक तथा दीपक प्रहलाद अग्रवाल ने माल्यार्पण कर कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस कार्यशाला में मऊमाला नायक ने नृत्य के माध्यम से अपने भाव भंगिमाओं का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर ललित कला संस्थान के संगीत विभाग के शिक्षक पंडित देवाशीष गांगुली ने बताया कि सन 1977 में स्पीक मैके की नींव पड़ी जिसका उद्देश्य क्लासिकल डांस जो आठ प्रकार के हैं उनको बढ़ावा देना है। मशहूर नृत्यांगना मऊ माला नायक ने कथक के टिप्स बताएं और बगुला की स्थिति पर बताया।

साथ ही नृत्य के प्रणेता भगवान शिव के स्वरूप पर नृत्य प्रस्तुत किया। इतिहास के विषय में बताते हुए पौराणिक काल में कक्षाओं में तथा मुगल काल में तलवारबाजी तराना, ठुमरी यह सब विकसित हुए। हिंदी में कत्थक का समावेश बताते हुए कविता के माध्यम से कृष्ण का नटखटपन –मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो,भोर भयो गायन, आदि पर अभिनय के साथ कथक नृत्य प्रस्तुत किया। मऊ माला नायक ने नेचर के प्रति उदासीनता की बात बताई तथा कहा कि हम प्रकृति से बहुत कुछ हासिल करते हैं जैसे कोयल की कूक, हाथी की धींधाम चाल, कविता के माध्यम से नृत्य करते घनश्याम को लय के साथ प्रस्तुत किया।

संस्कृत के श्लोकों पर दशावतार अलग-अलग श्लोकों से कहानियों को दर्शाता हुआ नृत्य प्रस्तुत किया। मशहूर नृत्यांगना मऊमाला नायक ने गणित के प्रयोग बच्चों को सिखाएं जिसमें द्विगुण, चौगुण पर अपनी प्रस्तुति दी। प्रस्तुति के समय सभी म्यूजिक के छात्र छात्राओं को तथा ड्राइंग के छात्र छात्राओं को बताया कि स्पेस हमारा कैनवास है फिर हम ड्राइंग करते हैं। एक लय और ताल के साथ हम जो भी प्रस्तुत करते हैं वही हमारा नृत्य होता है। संगीत सब जगह व्याप्त है, तीन ताल कहरवा पर ऐसे राम हैं दुखहरण —-भजन पर भी अपनी प्रस्तुति दी।


इस कार्यक्रम में सह संयोजक के रूप में श्री दीपक कुलश्रेष्ठ, आगरा कॉलेज की डॉक्टर काजल शर्मा, सेंट जोहस कॉलेज की प्रोफेसर विनी जैन, डॉक्टर सुशील गुप्ता, प्रोफेसर बीडी शुक्ला, प्रोफेसर लवकुश मिश्रा, नृत्यज्योति कथक केंद्र की डॉक्टर ज्योति खंडेलवाल, डॉक्टर ममता बंसल, डॉ मनोज कुमार, डॉक्टर शार्दुल मिश्रा, डॉ अरविंद राजपूत, देवेंद्र कुमार सिंह, डॉक्टर अलका शर्मा, डॉ शीतल शर्मा, गणेश कुशवाह, केंद्रीय पुस्तकालय के श्री उपाध्याय, इतिहास विभाग के सभी छात्र छात्राएं, होटल एंड पर्यटन संस्थान के तथा ललित कला संस्थान के सभी छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।


यह कार्यशाला शहर के सभी नृत्य प्रेमियों के लिए 9 दिसंबर तक सायं 3:00 से 5:00 तक प्रतिदिन आयोजित की जाएगी जिससे सभी को लाभ प्राप्त हो। अंत मे कार्यशाला के कोऑर्डिनेटर पंडित देवाशीष गांगुली ने सभी का धन्यवाद प्रस्तुत किया।