संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। हिमान्चल प्रदेश के साथ हीं यूपी के उप चुनाव में तीन में दो सीटों पर भाजपा की शिकस्त पर यहां कांग्रेस ,सपा में खुशी का संगम हिलोरें ले रहा है। इस खुशी में सरकारी कर्मचारी भी उछल रहे है ,इनका मानना है कि ओल्ड पेंशन की भाजपा हिमायती न होने के कारण बोल्ड हो गई। गुजरात में भाजपा की जीत को भाजपाई मोदी का गृह प्रांत एवं उनकी अस्मिता से जोड़ कर देख रहे है। अन्यथा की स्थिति में राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि गुजरात की जनता सरकार के परफार्ममेंस से जनता खुश नहीं थी। गुजरातियों नें मोदी के चेहरे की लाज बचाई है।
जिला मुख्यालय पर दोपहर बाद से हीं हिमांचल एवं यूपी उप चुनाओं में दो सीटों पर भाजप की हार से खुशी का ज्यादातर उल्लास,चर्चा कांग्रेस सपा के अलावा सरकारी दफ्तरों, चाय-पान की दुकानों में शुरू हो गया था। कांग्रेस के पूर्व प्रांतीय संगठन मंत्री साकेत बिहारी के यहां जमकर मिष्ठान वितरण हुआ। इसी तरह का आलम कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित के यहां भी “आइये मिठाई खाइये” का देर तक चलता रहा। कांग्रेस जिलाध्यक्ष लालू दुबे खुश नजर आये।
सपा के वरिष्ठ नेता पूर्व जिला कोषाध्यक्ष महेंद्र सिंह नें कहा कि यूपी उप चुनावों में भाजपा की हार अहंकार एवं जनाक्रोश का प्रतीक है। सरकारी कर्मचारी ,किसान व्यापारी ,मजदूर ,महंगाई बेरोजगारी वर्ष 24 के देश के आम चुनाव में भाजपा की हार के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का काम करेंगे। रामपुर से भाजपा की जीत को उन्होने प्रशासन की जीत बताया। आरोप लगाया कि सपा प्रत्याशी के साथ सरकार की शह पर बेईमानी हुई है।
सरकारी कर्मचारियों की प्रतिक्रिया रही कि केंद्र सरकार यदि पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल नहीं करती तो वर्ष 24के चुनाव में उसकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल एवं अदूरदर्शिता साबित होगी।