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स्मार्ट सिटी परियोजना में पारदर्शिता के लिए बैठकों में सभी सांसदों और विधायकों को करें शामिल

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में जितना खर्च हुआ है, उतना जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं पड़ता: पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह

आगरा। स्मार्ट सिटी रैंकिंग में बेशक ताज नगरी दूसरे नंबर पर आ गई है लेकिन इतना पैसा खर्च होने के बाद भी जमीनी स्तर पर ज्यादा कुछ दिखाई नहीं पड़ता। आगरा वासियों को अभी तक अपेक्षित लाभ नहीं मिल सका है। सीवेज सिस्टम अभी भी दुरुस्त नहीं है। सड़कें अभी भी टूटी पड़ी हैं। कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम स्थापित हो गया पर सभी कैमरे और लाइट्स चालू हैं कि नहीं, इसकी कोई निगरानी नहीं हो रही। इसी तरह 24 घंटे पेयजल की आपूर्ति के लिए 142 करोड़ 53 लाख रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन आज भी शहर में कई स्थानों पर जनता को पानी नहीं मिल पा रहा है‌। जलकल विभाग की वितरण प्रणाली सही काम नहीं कर पा रही है।


यह कहना है भदावर हाउस से जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री और जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन राजा अरिदमन सिंह का। उन्होंने कहा है कि वह इस संबंध में शीघ्र ही उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सुझाव देंगे कि जिला नियोजन एवं अनुश्रवण समिति की तरह ही स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए भी त्रैमासिक बैठक आयोजित की जाएँ और इन बैठकों में सभी सांसदों और विधायकों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता बनी रहे तथा स्मार्ट सिटी की विविध परियोजनाओं के क्रियान्वयन में ढिलाई, लापरवाही या पुअर क्वालिटी वर्क को रोका जा सके।


राजा अरिदमन सिंह का मानना है कि बैठकों में जब जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भागीदारी करेंगे तो उनकी जानकारी में सारे प्रोजेक्ट रहेंगे और वे उस संबंध में अपने बहुमूल्य सुझाव दे सकेंगे। साथ ही, शहर के हित में जहां जिस काम की जरूरत है, उसको वे सही समय पर बता भी सकेंगे।

वर्ष 2026 के बाद जलापूर्ति के लिए अभी से जागें जनप्रतिनिधि
राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि वर्ष 2006 में आगरा के लिए बनी गंगा जल परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। जब वर्ष 2012 में वह परिवहन मंत्री बने तब वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना द्वारा जानकारी दिए जाने पर उन्होंने तत्काल उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और तत्कालीन मुख्यमंत्री (जो कि वित्त मंत्री भी थे) को पत्र लिखकर और टेलीफोन से वार्ता करके गंगा जल परियोजना से अवगत कराया।

इन प्रयासों के फलस्वरूप 23 जुलाई, 2012 में पुनः डीपीआर बनी। उसके बाद 2825 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ। आदरणीय मोदी जी ने प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया लेकिन जलकल विभाग आज तक इसका ठीक वितरण नहीं कर सका इसलिए सभी आगरा वासियों को गंगाजल नहीं मिल पा रहा है‌। कई जगह पानी लीकेज और बर्बादी की समस्या भी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि जल निगम की रिपोर्ट के अनुसार 2006 की गंगा जल परियोजना आगरा के लिए वर्ष 2026 तक ही पर्याप्त होगी। इसके बाद आबादी और क्षेत्र बढ़ने पर पेयजल के लिए वैकल्पिक स्रोत की जरूरत पड़ेगी। आज जरूरत है कि समस्त जनप्रतिनिधि जागें, एकजुट हों और माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष वर्ष 2026 के बाद भी आगरा में पेयजल की आपूर्ति पर्याप्त और सुनिश्चित करने के लिए पुरजोर मांग रखें।