संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। जिला प्रशासन के उच्च अधिकारी से लेकर विधायक,विभागीय मंत्री,प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ,निदेशक यहां तक कि मुख्य मंत्री योगी से भय दरकिनार कर मेडिकल कालेज के प्राचार्य मुकेश यादव के कथित भ्रष्टाचार का अनोखा धमाल हो गया?पूरे प्रकरण की परिस्थितियां तो ऐसा ही इशारा कर रहीं हैं?
बता दें कि मेडिकल कालेज में आउट सोर्सिंग नौकरी भर्ती के लिये टेंडर डालने वाली कंपनी “आईटी वर्ड” नें जो अर्नेस्ट मनी के कागजात सम्मलित किये वह नियम विरुद्ध है। कंपनी नें सुल्तान पुर जिले के पंजाब नेशनल बैंक से अर्नेस्ट मनी के कथित नियम विरुद्ध कागजात सत्यापित करा चिकित्सा शिक्षा विभाग से फ्राड किया? कूटरचित ढंग से टेंडर पास कराने में कामयाब हो गया? इसमें मेडिकल कालेज के प्राचार्य मुकेश यादव की भूमिका पर कथित रूप से संदिग्ध होने के आरोप लग रहें हैं? आश्चर्य यह हैं कि टेंडर पाने का कुत्सित साजिश रचने वाली कंपनी को फर्जी अर्नेस्ट मनी के आधार पर ब्लेक लिस्टिड कर चारसौबीसी का मुकदमा करने की बजाय टेंडर स्वीकृति की कार्यवाई को क्यों अंजाम दिया गया?
जिले के दुर्गावती मेडिकल कालेज में आउट सोर्सिग सेवा प्रदाता “आईटी वर्ड कंपनी” नें टेंडर हासिल करने के लिये फ्राड का इतिहास लिख दिया? यह डीएम से लेकर मुख्यमंत्री तक को किसी चुनौती से कम नहीं हैं?
दरअसल यहां मेडिकल कालेज में काफी संख्या में भर्तीयों के लिये आउट सोर्सिंग कंपनियों से अक्टूबर – नवंबर 22 में टेंडर आमंत्रित किये गये। “आईटी वर्ड” कंपनी को टेंडर स्वीकृत हुआ ! जांच में पाया गया कि इस कंपनी नें एक करोड़ 40 लाख की अर्नेस्ट मनी का वर्ष 21 का कागजात लगाया जबकि अर्नेस्ट मनी 33 लाख की लगनी थी। औऱ अर्नेस्ट मनी उस दिनांक या बाद की बनती है जिस तिथि को टेंडर प्रकाशित होता है। आरोप है कि इस स्थिति में प्राचार्य के स्तर से कंपनी के निदेशक की “खास बात हुई”? बैंक के हेड आफिस सेअर्नेस्ट सत्यपित कराने का तीन बार मौका दिया! इसके बाद कंपनी नें सुल्तान पुर के पीएनबी बैंक से अर्नेस्ट मनी सत्यापित करा कर टेंडर टाइम वार्ड के बाद भी उसमें शामिल करा दिया गया?
आखिर शासकीय नियम विरुद्ध ऐसा क्यों किया गया ? जबकि फ्राड कंपनी का टेंडर तत्काल निरस्त कर जिस कंपनी का टेंडर मानक अनुसार एवं वरीयता क्रम में था उसके पक्ष में स्वीकृत कर देना चाहिये था। देखना अब यह होगा की डीएम से लेकर मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ कार्यवाई कर कंपनी का पास टेंडर कब निरस्त कराते हैं?प्राचार्य मुकेश यादव इस संदर्भ में दावा करते हैं कि उन्होंने नियमानुसार टेंडर की प्रक्रिया पूरी कराई हैं।