अल्पसंख्यक छात्रों को मिलने वाली प्री- मैट्रिक छात्रवृति और मौलाना आजाद फैलोशिप बन्द करने के खिलाफ़ अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
लखनऊ. उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए प्री- मैट्रिक छात्रवृति व (5 वर्षीय) मौलाना आजाद फैलोशिप प्रतिबंधित करने के विरोध में हर ज़िले से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर इसे जारी रखने की मांग की है.
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में कहा कि कक्षा 1 से 10 तक मिलने वाली अल्पसंख्यक छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को प्रतिबंधित कर बन्द कर दिया गया है जो अल्पसंख्यक गरीबों के खिलाफ एक साजिश है.
उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने प्रधानमंत्री 15 सूत्रीय कार्यक्रम में अल्पसंख्यक समुदाय के माता-पिता पर स्कूली शिक्षा से पड़ने वाले बोझ को हल्का करने एवं अल्पसंख्यक समुदाय में शिक्षा का स्तर ऊँचा करने के लिए प्री मैट्रिक छात्रवृति की शुरुआत की थी.
इसको बन्द करने के केंद्र सरकार के कदम से लाखों अल्पसंख्यक मेधावी छात्रों का भविष्य अंधकार में चला जायेगा. यह देश को और अल्पसंख्यक समुदायों को एक पीढी पीछे धकेल देगा.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि ज्ञापन में केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक छात्रों के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के नाम से कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई पांच सालों वाली मौलाना आज़ाद फैलोशिप योजना को भी बन्द करने के निर्णय का विरोध किया गया है. उन्होंने कहा कि यह फेलोशिप योजना 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी और सिख छात्रों को दी जाती थी. जिसे उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस सरकार में शुरू किया गया था. अगर सरकार ने मौलाना आज़ाद फेलोशिप को बन्द करने के फैसले को वापिस नहीं लिया तो अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों शोध उम्मीदवार एम फिल और पीएचडी जैसी शिक्षा से वँचित हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार का शिक्षा से छत्तीस का आंकडा है और वो किसी को भी असली डिग्री हासिल नहीं करने देना चाहती है.