दुबई । उर्दू के मुशाइरे दुनिया भर में होते हैं, मगर नज़्म का ऐसा तारीख़ी मुशाइरा करीब डेढ़ सौ साल बाद कराया जा रहा है, इससे पहले नज़्म का मुशाइरा मौलवी मुहम्मद हुसैन आज़ाद और मौलवी अल्ताफ़ हुसैन हाली के ज़रिये पंजाब में कराया गया था, इसके बाद नज़्म रफ्ता रफ्ता हमारे मुशाइरों से ग़ायब होती गई और ग़ज़ल की मक़बूलियत के आगे हम अपनी संजीदा सिन्फ़-ए-सुखन को फ़रामोश करते चले गए|
दुबई में जारी छः रोज़ा ग्लोबल उर्दू पोइट्री फेस्टिवल में जावेद अख्तर ने इन अल्फाज़ में इज़हार-ए-ख्याल किया, उन्होंने तीनों दिन लगातार इस फेस्टिवल में शिरकत की और अपनी ग़ज़ल और नज़्म से भी सुनने वालों को नवाज़ा|
ग्लोबल उर्दू पोइट्री फेस्टिवल 11 से 13 नवंबर दुबई के ग्रास बार्डज़ आर्ट गैलेरी में मुन्नाकिद किया जाने वाला सह रोज़ा जश्न था, जिसमें हिन्दुस्तान-पाकिस्तान और दुबई के शायरों-अदीबों ने शिरकत की, इस मौके पर हिन्दुस्तान से- जावेद अख्तर, अनस खान, खालिद नसीम सिद्दीकी, असलम महमूद, तसनीफ हैदर के साथ-साथ मारूफ़ सिंगर काबुकी खन्ना ने भी शिरकत की जबकि पाकिस्तान से शिरकत करने वाली शख्सियात में खुर्शीद रिज़वी, हमीदा शाहीन, इनाम नदीम, ज़ुल्फ़िकार आदिल, फैसल यास्मी शब्बीर हसन, इंजील सहीफ़ा, फ़ातिमा महरू के अलावा मशहूर गुलुकार चाँद और सूरज भी शामिल थे|
पहले दिन अस्नाफ़-ए-सुखन नामी सेशन से इस पोइट्री फेस्टिवल का आगाज़ हुआ । जहाँ दिल्ली से आए अदीब और कवि अनस खान ने न केवल अपने दोहे सुनाए बल्कि दोहे पर विस्तार से अपनी बात रखी, वहीं उन्होंने कहा कि दोहा हमारी सांस्कृतिक विरासत है और हमें न केवल इसे बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए बल्कि दोहों के नए शायर बनाने की भी कोशिश करना चाहिए।
इसके बाद नैरंग-ए-ख्याल की महफ़िल हुई। नज़्म की यह महफ़िल जिसे मुनाज़्मा भी कहा जाता है, इस लिहाज से बहुत कामयाब रही कि तवक्को के बर-खिलाफ सुनने वालों ने सभी नज़्म-गो शोअरा को बड़ी संजीदगी के साथ सुना और दाद-ओ-तहसीन से भी नवाज़ा, इस महफ़िल वहीद अहमद, अम्बरीन सलाहुद्दीन, अम्मार इकबाल, नदीम भाभा, शोएब कयानी, इंजील सहीफ़ा और फातिमा महरू ने अपनी नज़्में सुनाईं।
दूसरे दिन, नक्श-ए-ख्याल नाम के एक सेशन के साथ यह सिलसिला फिर से शुरू हुआ, जिसमें नज़्म के दो शायरों, शोएब कियानी और तसनीफ हैदर को बतरीज साहिर लुधियानवी और दानियाल तरीर नाम के अवार्ड से नवाज़ा गया, ग़ज़ल के शायरों में शब्बीर हसन को इरफान सिद्दीकी और असलम महमूद को नसीर तुराबी नाम के अवार्ड से नवाज़ा गया। एज़ाज़ात मंसूब किए गए मशूहर नामों के अकरबा से दिलवाए गए, साहिर लुधियानवी अवार्ड जावेद अख्तर द्वारा दिया गया और दानियाल तरीर अवार्ड इंजील सहीफ़ा द्वारा दिया गया, जबकि इरफान सिद्दीकी अवार्ड उनके बेटे खालिद इरफान और नसीर तुराबी अवार्ड उनके बेटे राशिद तुराबी द्वारा दिया गया।
इस लिहाज से इस ऐज़ाज़ात की तरकीब अपने तरीके से बिल्कुल अनोखी और नयी करार दी गई, इसके बाद दाम-ए-ख्याल नाम से ग़ज़ल के मुशायरे का आग़ाज़ हुआ। इस महफ़िल में शामिल होने वाले ग़ज़ल के शायरों में खुर्शीद रिजवी, हमीदा शाहीन, इनाम नदीम, फैसल हाशमी, शब्बीर हसन, जुल्फिकार आदिल और तसनीफ़ हैदर के साथ-साथ दुबई के चार शायर मौजूद थे।
यह ग़ज़ल की महफ़िल बेहद कामयाब रही और सामईन ने शायरों के कलाम को हर तरह से पसंद किया। ब-कौल जावेद अख्तर इस तकरीब ग़ज़ल की मयारी तकरीब करार दी जा सकती है, क्योंकि इसमें ऐसे शायर शामिल हुए जो आमतौर पर मुशायरों में नजर नहीं आते और जिनके कलाम किताबों और रसाइल के जरिए ही हम तक पहुंचते हैं|
ग़ज़ल की इस महफ़िल के साथ दूसरे दिन का जश्न समाप्त हो गया। तीसरा दिन ख़ास तौर से मिज़राब-ए- ख्याल यानी मौशिकी की महफ़िल के लिए मखसूस था, जहां चांद, सूरज और काबुकी खन्ना ने अपनी आवाज़ में मुख्तलिफ़ गजलें और नज़्में गा कर तमाम महफ़िल को अपने नाम कर लिया|
कलाम-ओ-आवाज़ के इस दौर-ए-ख़ुश रंग में देर रात तक लोग महफ़िल में मौजूद रहे और उन्होंने पुराने शोअरा के कलाम साथ-साथ महफ़िल में मौजूद शायरों के कलाम को भी इन गुलूकारों की मशहूर कुन आवाज़ में सुना।
मिज़राब-ए-ख्याल हर लिहाज से मौशिकी की एक कामयाब महफ़िल थी, इस पोइट्री फेस्टिवल के हवाले से फेस्टिवल के रूह-ए-रवां और लीडिंग एज के बुनियाद गुज़ार तारिक फ़ैज़ी का कहना था कि वे उर्दू और उसने होने वाली शायरी से बे इंतिहा मुहब्बत करते हैं, और उन्होंने अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है कि वो दुनिया के मुख्तलिफ़ गोशों में मयारी अदब और शेर को पहुंचा कर दम लेंगे और जावेद अख्तर जैसे दानिशमंद का साथ उन्हें हासिल है इसलिए उन्हें आगे भी इस मकसद में कामयाबी मिलती रहेगी|
मशहूर शायर खुर्शीद रिज़वी ने भी तारिक़ फ़ैज़ी की कोशिशों को बहुत सराहा, उनके मुताबिक़ उर्दू की ऐसी महफिलें शायद ही वुजूद में आती हैं, जहाँ एक वक़्त में इतने अहम् अदीबों को जमा कराया जाए|
मशहूर नज़्म-गो वहीद अहमद ने भी ग्लोबल उर्दू फेस्य्तिवल को तारीफी कलिमात से नवाज़ा, उन्होंने कहा कि इस तरह की महफिलें उर्दू में नज़्म की रिवायत को मज़बूत करेंगी और इसकी अहमियत को तस्लीम करवाने में मददगार साबित होंगी|
मारूफ़ शायरा हमीदा शाहीन ने भी लीडिंग एज की इन कोशिशों को लायक़-ए-तहसीन अमल करार दिया, उनके अल्फाज़ में कहा जाए तो ये महफिलें उर्दू की जिंदगी जीता-जागता सुबूत हैं|
ग्लोबल उर्दू फेस्टिवल के हवाले से वहां मौजूद हाज़रीन से भी गुफ्तगू की गई, दुबई में मौजूद शिरका ने ऐसी मजीद महफिलों का इज़हार किया जो कि तारिक़ फ़ैज़ी के ज़रिये ही मुमकिन हैं|
प्रोग्राम में मौजूद बिजनिसमैन अफराद को भी इस प्रोग्राम में पुर-ख़ुलूस शिरकत और तअव्वुन के लिए मुख्तलिफ़ एज़ाज़ात से नवाज़ा गया, यह उनकी खिदमात का एक लिहाज़ से एक खूबसूरत ऐतराफ़ था जिसकी सताइश होनी चाहिए