राजनीति

पालिका के “मोहन” कर बैठे नादानी? कुर्सी फिलहाल “दिल्ली दूर की तरह दूर”


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। राजनीति में अपरिपक्वता ,लुपलुपाहट औऱ नादानी भरी उदंडता की हरकतें उसी तरह भारी पड़ जाती हैं “जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा”! बांदा पालिका के बर्खास्त हुये चेयर मैन मोहन साहू जिनकी कोर्ट से बहाली हुई वह “यही कहानी चरितार्थ कर बैठे? परिणाम स्वरूप पुलिस नें कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत कर लिया। कथित रूप से “लल्ले गुरू” के नाम से चर्चा में रह “जनता को उल्लू” बनाने के आरोपी मोहन साहू “उलट बांसुरी के शिकार” हो गये। हालत यह हो गई कि “गये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास” !


मोहन साहू की इसे बुध्दिमानी कहा जायें या अज्ञानता भरी होशियारी?कोर्ट का आदेश मिलने पर पद संभालने जुलूस एवं हुजूम के साथ मोहन साहू “तोबा ये मतवाली चाल” से पालिका पहुंच गये, पर जिला प्रशासन के पास प्रापर चैनल से आदेश न होने के कारण चार्ज ग्रहण नहीं कर सके। “बड़े बेआबरू होकर तेरे कूंचे से हम निकले” की कहानी चरितार्थ कर बैठे! दरअसल मोहन साहू के मामले में कोर्ट में पार्टी के रूप में सर्व प्रथम प्रमुख सचिव नगर विकास हैं। इसके बाद डीएम एवं अधिशाषी अधिकारी हैं। हाई कोर्ट के फैसले की कापी जारी हुई।

डीएम के सामने कानूनी बाध्यता यह हैं कि कोर्ट के आदेश के संदर्भ में प्रमुख सचिव नगर विकास क्या आदेश देते हैं। या शाशन हाई कोर्ट में इस फैसले के विरुद्ध पुनर्याचिका दायर करता हैं। इस तरह का संवैधानिक पेंच फिलहाल कायम हैं। अध्यक्ष पद की “खिसकी कुर्सी दिल्ली दूर की सी कहावत” पर है।इसी अज्ञानता के शिकार मोहन नगर में धारा 44 का उलंघन की राजनीतिक नादानी कर बैठे औऱ अलीगंज चौकी इंचार्ज की तहरीर पर कोतवाली में मोहन के विरुद्ध धारा 144 के उलंघन की रिपोर्ट दर्ज हो गई।