अन्य

विवि के संस्कृति भवन में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने बयान किए अपने विचार

आगरा। भारतीय ज्ञान परम्परा भारतवर्ष की थाती है। जिस पर अनेकानेक प्रहार समय समय पर होते रहे है। वर्तमान में भी पाश्चात् जगत में भारतीय ज्ञान परम्परा पर लगातार कुठाराघात किये किन्तु भारतीय ज्ञान सम्पदा वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है जिसकी जड़े ज्ञान के अक्षय स्रोत ऋगवेद से प्रवाहमान है। इस के पश्चात ही ज्ञान परम्परा पुराणों और उपनिषदों में दृष्टव्य होती है। यह ज्ञान भारतवर्ष की थाती है। इस ज्ञान परम्परा को नष्ट करने के उदेश्य से आतताइओं ने भारतीय पुस्तकालयों में आग लगा दी। अग्रेजी शासन काल में मैक्समूलर जैसे लोगों ने वेदो की गलत व्याख्या प्रस्तुत करवा दी।

आज नासा में महर्षि भारद्वाज विमान शास्त्र से वैमानिकी में निरन्तर शोध किये है। समय समय पर इस ज्ञान परम्परा पर प्रश्नचिन्ह लगाये जाते रहे है किन्तु यह आज भी प्रवाहमान है और इसकी प्रासंगिकता पूरे विश्व में स्वीकारी जा रही है। यह उदगार अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जे. पी. सिंघल ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के संस्कृति भवन, सिविल लाइंस के सभागार में राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन में व्यक्त किये।

खोज संगोष्ठी ने माँ शारदा के चित्रपट के विशिष्ट प्रो. जे. पी. सिंघल, कुलपति प्रो. आशुरानी, ​​डॉ. देवी सिंह नरवार, डॉ. कमल कौशिक, प्रो. एच. एन सिंह, प्रो. लवकुश मिश्रा, प्रो. अर्जुन सिंह। आर. बी. एस. कोलाज के प्राचार्य प्रो. विजय श्रीवास्तव औटा महामन्त्री प्रो. भूपेन्द्र चिकारा द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर व माल्यार्पण, पुष्पार्चन किया। सरस्वती वन्दना ललित कला के संस्थान के पं. देवाशीष गांगुली तथा छात्रों ने प्रस्तुत की।

शोध संगोष्ठी को संबोधित करते हुये मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आशुरानी ने भारतीय ज्ञान परम्परा को सनातन प्रवाहयान ज्ञान परम्परा बताया और कहा कि भारतीय ज्ञान का सम्बन्ध केवल रोजगार से नहीं यह जीवन जीने की कला है। जिसके द्वारा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है। आग आवश्यकता इस बात की है कि भारतीय ज्ञान को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ पाठ्यक्रम में समावेश किया जायें। इस अवसर पर ख्यातीप्राप्त जादूगर डॉ. के. सी. पाण्डे ने विभिन्न प्रकार के जादू के खेलो का प्रदर्शन किया इससे अविभूत होकर जादू कला की विद्या को भी पाठ्यकम में सम्मिलित करने के लिये कहा ।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. देवी सिंह नरवार वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा द्वारा ही आधुनिक चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है और सारा समाधान उसी में है।

गोष्ठी की प्रस्वावना प्रो. लवकुश मिश्र ने रखी। अतिथि परिचय डॉ. कमल कौशिक द्वारा कराया गया कार्यक्रम का संचालन डॉ. छगन लाल शर्मा द्वारा कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन एंव आभार प्रदर्शन प्रो. युवराज सिंह ने किया।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रो. एस. पी. सिंह, प्राचार्य सेन्ट जोन्स कॉलेज, आगरा, डॉ. रानी परिहार, डॉ. मनोज परिहार, डॉ. मनोज राठौर, डॉ. कौशल राना, प्रो. बी. डी. शुक्ला, प्रो. यू. एन. शुक्ला, डॉ. ज्योत्सना शर्मा, डॉ. ओम प्रकाश, डॉ. बीना कृष्ण सिंह, डॉ. अमिता, डॉ. सुरेखा तोमर, डॉ. शौर्यजीत, डॉ. विकास कुमार, डॉ. इन्द्र कुमार यादव, डॉ. गौरव सिंह, आदि विषेश रूप से उपस्थिति रहें ।