संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। मोहन का सोहन हलुवा उन्हें बेहाल किये हैं? बेचैनी से ब्लड प्रेशर हाई हैँ? वह सोच रहे होंगे “हें राम” अध्यक्ष की कुर्सी की “यह कैसी रुसवाई” हैँ?कुर्सी औऱ उनके बीच “कबड्डी -कबड्डी” है? सदर पालिका के बर्खास्त अध्यक्ष मोहन ,कोर्ट से बहाली के बाद भी कुर्सी पाने की “लाइन में लगे” हैं। कल तहसील समाधान पर लाइन में लग “डीएम दीपा रंजन से मिल फरियाद” लगाई। बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी “गंवाई कुर्सी की रुसवाई” बनी हुई हैं। हालत यह हालत बयां कर रहे हैँ कि “छुप गये तारे नजारे यह कैसी मुझसे रार” हो गई , हालत यह है कि हाई कोर्ट से आदेश पर भी “दिन में रात का अंधकार” बरकार है। नजदीकी बताते है कि कथित “लल्ले गुरू” के हाल बेहाल है।
दिन में “चहल -कदमी” औऱ रात में “करवटें सुहाना मौसम होने पर भी सोने नहीं देती”। मुसीबत में “आम औऱ खास” सब किनारा कस लें गये? किसको दिल का हाल सुनाये? इच्छाओं के दिल का हाल “टुकड़े -टुकड़े” है !
पालिका के अधिशाषी अधिकारी बीपी यादव एवं डीएम दीपा रंजन को प्रमुख सचिव नगर विकास के निर्देश भरे गाइड लाइन का इंतजार है। समस्या के निदान में “कुछ वक्त का तकाजा” है पर मोहन का “दिल है कि मानता ही नहीं”। कुर्सी की “याद सता” रही है?