संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। सदर पालिका के बर्खास्त चेयर मैन को हाई कोर्ट का बहाली आदेश उनके लिये फिलहाल “उलट बांसुरी” बना हुआ है। उन्होने हाई कोर्ट की “डेहरी पर फिर माथा टेक” कर आदेश के “अवमानना की गोहार लगा सिसकियाँ” सी भरी हैँ। गुहार में कहा गया कि “मी लार्ड” आप द्वारा दिये गये बहाली आदेश का “डीएम औऱ ईओ” पालन नहीं कर रहे। ऐसे में आदेश का परिपालन करने हेतु “संवैधानिक कदम” उठाये जायें। बताते हैँ कि यह अपील मोहन नें 19 दिसंबर को दायर की। हाई कोर्ट नें फिर उनकी याचिका स्वीकार कर ली है। अब फिर शासन से जवाब तलब का लंबा सिलसिला चल सकता है।
बहरहाल “बर्खास्तगी औऱ बहाली की कबड्डी -कबड्डी” मोहन बाबू को “सुहानी सी नहीं लगती महसूस” की जा रही है। क्योंकि स्थितियां “गले की हड्डी” सी साबित हो रही है। मोहन साहू के लिये चिंता का विषय यह भी हो सकता है कि संभवतः 24 दिसंबर से हाई कोर्ट में “शीत कालीन अवकाश” होने जा रहा है! ऐसे में हाई कोर्ट क्या करता है यह तो “राम जानें”? पर इतना जरूर उनके लोग मान रहे है कि “मोहन का मन मैला हो गया हाई कोर्ट दौड़ते -दौड़ते”!
दूसरी औऱ जिला प्रशासन नें इस आदेश के संदर्भ में मुख्य पार्टी प्रमुख सचिव नगर विकास से राय मांगी है। शासन इस मसले पर गंभीरता से विचार -विमर्श कर रहा है। सूत्र बताते है कि नगर विकास मंत्रालय इस मुद्दे पर कानूनी सलाह ले हाई कोर्ट में पुनः विचार याचिका दायर कर सकती है?