नई दिल्ली , भारत का सर्वोच्च न्यायालय 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के करेंसी नोटों को विमुद्रीकृत करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली 50 से अधिक याचिकाओं के एक बैच में 2 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगा। न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर के सेवानिवृत्त होने से एक दिन पहले उनकी अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ फैसला सुनाएगी। सर्वोच्च न्यायालय की वाद सूची के अनुसार न्यायमूर्ति बीआर गवई द्वारा लिखित सर्वसम्मत फैसला अपेक्षित है। संविधान पीठ में जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यन, और बीवी नागरत्ना शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने सरकार द्वारा नीति लाए जाने के छह साल बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए केंद्र और आरबीआई से 2016 की नोटबंदी नीति से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेज और रिकॉर्ड पेश करने को कहा था। अटार्नी जनरल ने कहा था कि सभी रिकॉर्ड सीलबंद लिफाफे में दाखिल किए जाएंगे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र की 2016 की नोटबंदी नीति की आलोचना की थी और अदालत से कहा था कि सरकार द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में गहरी खामियां हैं और इसे रद्द किया जाना चाहिए। चिदंबरम ने इसे सबसे अपमानजनक निर्णय लेने की प्रक्रिया बताते हुए कहा था कि इस प्रक्रिया ने इस देश के कानून के शासन का मजाक बना दिया है।
साभार – प्रभासाक्षी