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सिविल एंकलेव आगरा की शिफ्टिंग प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट चल रही सुनवाई पर अधिवक्ताओं की पैरोकारी की समीक्षा करें मुख्यमंत्री

आगरा। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ से अनुरोध किया है कि वह स्वयं सिविल एन्‍कलेव आगरा के शिफ्टिंग प्रोजेक्ट में रही उ प्र सरकार के अधिकारियों एवं सुप्रीम कोर्ट में इस वाद की सुनवाई करने वाले अधिवक्ताओं के द्वारा की जा रही पैरोकारी की समीक्षा करें। यह प्रोजेक्ट आगरा को वायु प्रदूषण तथा नोएडा-आगरा तथा दिल्ली आगरा के बीच सड़क यातायात पर बढ़ते दबाव को कम करने वाला जबकि इसे सरकारी प्रस्‍तुतिकरणों के कारण प्रदूषण कारी प्रोजेक्ट के रूप में प्रचार मिला है। जिसका दुरुपयोग ‘पर्यावरण लाबी’ में संलिप्त निहित स्वार्थी तत्व कर रहे हैं।


आगरा में पब्‍लिक की सीधी सहज पहुंच वाले हवाई अड्डे की सीधी और सहज पहुंच मुख्‍यमंत्री की निवेश नीति को दृष्टिगत अत्‍यंत आवश्‍यक है। बिना हवाई अड्डे वाले जनपद में शायद ही कोई निवेशक सहजता के साथ आना चाहे। वर्तमान में सिविल एन्‍कलेव वायुसेना परिसर के बीच स्थित है,जहां पर पहुंच न तो आम हवाई यात्री के लिये संभव है और नहीं उन देसी और विदेशी सैलानियों के लिये ही बिना ट्रैवल एजेंसियों या एजेंटों के ही आगरा घूमने आते हैं। एयरपोर्ट अथॉरिटी और मध्यस्थ की भूमिका निर्वाहन करने वाले आगरा विकास प्राधिकरण को तमाम गैर जरूरी व्‍यवस्‍थाएं करवानी पड़ती हैं।

जो कि एक प्रकार से परोक्ष सब्सिडी ही है


सिविल सोसायटी ऑफ आगरा शुरू से ही कहती आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सिविल एन्‍कलेव की शिफ्टिंग को लेकर सही तथ्य नहीं रखे जा सके हैं। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाले एयर टर्बाइन फ्यूल के द्वारा किसी भी किस्म का गैसीय उत्सर्जन नहीं होता जो कि ताज ट्रिपेजियम जोन के ताज संरक्षण के प्रदूषणकारी मानकों में सूचीबद्ध हो। वस्तुस्थिति तो यह है कि हवाई जहाज टेक आफ करते ही लगभग 41 हजार फुट ऊंचे एयरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा निर्धारित ‘एयर कॉरिडोर’ में होता है। जबकि आगरा में बादल 31 हजार फुट ऊंचाई पर होते हैं और वे ताज ट्रेपेजियम अथॉरिटी के आब्जर्वेशन में नहीं आते हैं।


सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने जी-20 समिट के पूर्व भी संबंधित सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के समक्ष यह मुद्दा उठाया था और कहा था कि सिविल एन्क्लेव की शिफ्टिंग करवाने का कार्य पूरा करवायें। लेकिन उन्‍होंने सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब हालत यह है कि जी-20 समिट के कई आयोजन आगरा में होंगे जिनमें बड़े निवेशक और एम्‍बेसियों के कामर्शियल और इंडस्ट्रियल कॉन्‍ट्रैक्‍ट या एम ओ यू डील करने वाले भी आयेंगे। उनकी जानकारी में कई जानकारियों के अलावा यह तथ्य भी आयेगा कि आगरा में नागरिकों की सहज पहुंच वाला हवाई अड्डा नहीं है।


सिविल सोसायटी ऑफ आगरा मुख्यमंत्री से अनुरोध करती है कि वे प्रदेश सरकार के अधिवक्‍ताओं के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामों की समीक्षा किसी विधि जानकार से करवाएं और अगर तथ्यपरक समझें तो जानकारी तलब करें।

(1)बादल ताज ट्रिपेजियम जोन में नहीं आते और हवाई जहाज टेक आफ करते ही बादलों के ऊपर और लैंडिंग करने से पूर्व भी बादलों से ऊपर होता है तो फिर टी टी जैड अथॉरिटी की क्‍लीयरेंस क्‍यों बीच में डाल दी गयी है।


(2)एयर टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ)से किसी भी एसी गैस या तत्व (कड)का उत्सर्जन नहीं होता जो कि ताजमहल पर प्रतिकूल असर डालने वाला और वायु प्रदूषण करने वाला हो।उ प्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास तो इसके अपने आंकड़े तक नहीं हैं।


(3) सिविल एन्‍कलेव वायुसेना परिसर आगरा से शिफ्ट कर जन पहुंच लायक उपयुक्त स्थल धनौली गांव) लाया जाना है,फिर इसे सुप्रीम कोर्ट में क्यो नये सिविल एन्‍कलेव प्रोजेक्ट के रूप में प्रस्तुत किया हुआ है। सर्वविदित है और सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी ताज ट्रिपेजियम जोन के संबंध में नये प्रोजेक्‍टों के प्रति जहां सख्‍त रवैया है वहीं शिफ्टिंग वाले मामलों के लिये उदार मानक हैं।


(4)सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की अपेक्षा है कि मुख्यमंत्री सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के प्रतिनिधि मंडल को मुलाकात का समय दें अथवा विधि की समझ रखने वाले किसी प्रमुख सचिव स्‍तरीय अधिकारी को वस्‍तुस्‍थतियों की जानकारी लेने भेजे ।