राजनीति

राहुल गांधी के देश जोड़ने से डरे भागवत देश तोड़ने वाले बयान दे रहे हैं- शाहनवाज़ आलम

 

देश हिंदुत्व से नहीं बंधुत्व से चलेगा

मुसलमान संविधान के भरोसे हैं किसी भागवत के आश्वासन के भरोसे नहीं

लखनऊ .  उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि मोहन भागवत मुस्लिम विरोधी हिंसा को जायज़ ठहराने और उसे और उग्र करने के लिए बहुसंख्यक समुदाय के एक काल्पनिक आंतरिक शत्रु से युद्ध में होने का आपराधिक झूठ गढ़ रहे हैं. यह देश को आंतरिक तौर पर विभाजित करने के संघ के किसी बड़े हिंसक कार्यवाई से पहले की चेतावनी है. संविधान की शपथ लेकर चलने वाली मोदी सरकार को हिंसक धमकी देने वाले भागवत के खिलाफ़ कानूनी कार्यवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश हिंदुत्व से नहीं बंधुत्व से चलेगा.

गौरतलब है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक इंटरव्यू में कहा है कि हिंदुओं का उग्र होना स्वभाविक है और वे एक आंतरिक शत्रु से युद्धरत हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि मुसलमानों को अपनी श्रेष्ठता की मानसिकता से बाहर आ जाना चाहिए और मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है और उन्हें अपने पुराने धर्म में वापसी कर लेनी चाहिए.

मोहन भागवत के इस बयान पर शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आरएसएस भविष्य की तरफ देखने के बजाए लोगों को काल्पनिक अतीत का सपना दिखाता है. जिसका मकसद दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और महिलाओं पर कुछ कथित श्रेष्ठ जातियों का शासन कायम करना है. उनके इस श्रेष्ठतावादी विचार को संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर ने समझ लिया था और इसीलिए उन्होंने संविधान में न सिर्फ़ सभी को समान हैसियत दिया था बल्कि लाखों दलितों के साथ बौद्ध धर्म भी आपना लिया था. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोहन भागवत राहुल गांधी द्वारा भारत को जोड़ने के लिए की जा रही पदयात्रा से घबरा गए हैं और देश को तोड़ने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं. यह उनकी कुंठा को दर्शाता है.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इस देश में सभी लोग संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों और सुरक्षा की गारंटी के तहत रह रहे हैं. किसी संगठन या नेता के आश्वासन के भरोसे नहीं. उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से पंजाब तक की पदयात्रा में कहीं पर भी सांप्रदायिक हिंसा का समर्थन करने वाले लोग नहीं मिले. संघ को यह रास नहीं आ रहा है.

उन्होंने कहा कि भागवत जी को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि लोगों ने हिंदुत्व के नाम पर भाजपा को वोट दिया था. लोगों ने 15 लाख रुपये मिलने और पेट्रोल का दाम 35 रुपये किये जाने के वादे पर गुमराह होकर वोट दे दिया था. क्योंकि हिंदुत्व के प्रतीक गोडसे और सावरकर के नाम पर शायद ही देश के किसी भी बूथ पर 10 वोट भी मिले.