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के.यू.चि.अ.प. ने कोविड-19 के बाद की जटिलताओं पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया

नई दिल्ली: यूनानी चिकित्सा जो कि जीवन शैली में उचित बदलाव, आहार प्रबंधन और रोगनिरोधी हस्तक्षेप के माध्यम से बीमारियों की रोकथाम और लक्षणों की प्रस्तुति के आधार पर सरल उपचार पर ध्यान केंद्रित करती है कोविड के बाद की जटिलताओं से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, यह बात प्रो. नजमा अख्तर, कुलपति, जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने आज यहां नई दिल्ली में कही।

वह हकीम अजमल खान साहित्यिक एवं एतिहासिक यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं.), केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पोस्ट कोविड-19 जटिलताओं में यूनानी चिकित्सा की भूमिका पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान अपना अध्यक्षीय भाषण दे रही थीं।

उन्होंने कहा कि के.यू.चि.अ.प. ने नई दवाओं के विकास के साथ-साथ पारंपरिक यूनानी उपचारों को मान्य करने के क्षेत्र में जबरदस्त काम किया है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान महानिदेशक प्रो. आसिम अली ख़ान के नेतृत्व में के.यू.चि.अ.प. में बहुत ही दृश्यमान और आवश्यक आधुनिक परिवर्तन हो रहे हैं। उन्होंने साहित्यिक अनुसंधान, यूनानी चिकित्सा के शास्त्रीय ग्रंथों के अनुवाद और विश्व स्वास्थ्य संगठन की परियोजनाओं में जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर में स्थित ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं. के योगदान की सराहना की।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए के.यू.चि.अ.प. के महानिदेशक प्रो. आसिम अली ख़ान ने कहा कि के.यू.चि.अ.प. ने कोविड-19 के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यूनानी चिकित्सा में कोविड के बाद की जटिलताओं को भी दूर करने की प्रायप्त क्षमता है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान के.यू.चि.अ.प. ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने सहयोग का विस्तार किया है और यूनानी चिकित्सा अभ्यास और प्रशिक्षण पर बेंचमार्क दस्तावेजों के विकास पर डब्ल्यूएचओ परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं. को समर्थन देने के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया और प्रो. नजमा अख्तर का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. मोहम्मद खालिद, सहायक औषधि नियंत्रक, आयुष निदेशालय, दिल्ली ने यूनानी चिकित्सा के प्रचार और विकास में के.यू.चि.अ.प. और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बीच सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया।

प्रो. नाज़िम हुसैन अल-जाफरी, रजिस्ट्रार, जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने भी उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाई। डॉ. मोहम्मद फज़ील, प्रभारी, ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं., नई दिल्ली द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ।

संगोष्ठी के दो तकनीकी सत्रों में डॉ. मेराजुल हक, ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं., प्रो. मोहम्मद फैसल, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, डॉ. बिलाल अहमद, ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं., डॉ. शिरी ज़फर, जामिया हमदर्द, डॉ. अहमद सईद, ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं., डॉ. सादिया निकहत, जामिया हमदर्द और डॉ. सोहराब अहमद ख़ान, जामिया हमदर्द ने संगोष्ठी के विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपनी प्रस्तुति दी। पहले सत्र की अध्यक्षता प्रो. संजय सिंह, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और प्रो. एस. एम. आरिफ ज़ैदी, जामिया हमदर्द ने की और सह-अध्यक्षता डॉ. नीलम कुद्दुसी और डॉ. मेराजुल हक, ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं. ने की जबकि दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रो. सैयद अख्तर हुसैन, जामिया मिलिया इस्लामिया, प्रो. मोहम्मद इदरीस, आयुर्वेद एवं यूनानी तिब्बिया कॉलेज और डॉ. मोहम्मद खालिद, आयुष निदेशालय, दिल्ली और सह-अध्यक्षता डॉ. अज़मा और डॉ. उसमा अकरम, ह.अ.खाँ.सा.ए.यू.चि.सं., नई दिल्ली ने की।