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जापानियों ने ख़ालिस एक इस्लामी अमल है अपनया – हाजी मुहम्मद इक़बाल

आगरा। सिकंदरा स्थित नहर वाली के खतीब व इमाम हाजी मुहम्मद इक़बाल ने जुमा के ख़ुत्बे में जापानियों के उस अमल की बात की जो ख़ालिस एक इस्लामी अमल है। इस अमल को दीने इस्लाम में “क़ैलूला” कहा जाता है।
जापान के लोग बहुत सख़्त मेहनती हैं और चूँकि वो ज़्यादा वक़्त तक काम करते हैं इसीलिए पूरे मुल्क में लोग नींद की वजह से परेशान थे। उन्होंने इस बात पर रिसर्च की कि इसका क्या हल है?
इसका जो हल निकल कर आया वो हैरत अंगेज़ था। इसमें बताया गया कि दोपहर को कुछ देर ज़रूर आराम करें। सरकार की तरफ़ से दोपहर को आराम करने का एक आर्डर जारी कर दिया गया। उसका असर इतना ज़बरदस्त हुआ कि कुछ दिनों बाद ही उसका रिज़ल्ट सामने आने लगा, अब वो ही लोग, जो काम के दबाव में थे, एकदम चुस्ती-फ़ुर्ती से काम कर रहे थे, प्रोडक्शन में भी बहुत ज़्यादा बढ़ोत्तरी हुई, पूरा मुल्क नींद से परेशान था लेकिन अब हालात बदल चुके थे। तमाम फैक्टरियाँ फ़ायदे में हो गईं, और इस तरह उन्होंने अल्लाह के नबी की सुन्नत पर अमल किया जिसका उन्हें पता भी नहीं था।
सहीह बुख़ारी की हदीस नम्बर 941 में बताया गया है, “हम नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ जुमा पढ़ते, फिर दोपहर की नींद लिया करते थे।”
ये सुन्नत और तरीक़ा हमारे नबी का है। जो भी दुनिया का इंसान इस पर अमल करेगा उसको फ़ायदा ज़रूर मिलेगा। नबी करीम पूरी दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजे गए हैं। अफ़सोस! हम जानने के बाद भी इस सुन्नत पर अमल नहीं करते और मुमकिन है कि कुछ लोगों को ये मालूम भी न हो। इस हदीस का ख़ुलासा ये है कि दोपहर को अगर इन्सान कुछ देर आराम (क़ैलूला) कर ले तो उसको दोबारा एनर्जी मिल जाती है और वो एकदम अपने आप को ताज़ा महसूस करता है और शाम तक काम करने में उसको थकान महसूस नहीं होती।
जो लोग भी दोपहर को इस सुन्नत पर अमल करते हैं उनसे आप इसके असरात और फ़ायदे मालूम कर सकते हैं।
अल्लाह के बंदों! नबी की सुन्नत सहीह हदीसों में मौजूद है। उन पर जो भी अमल करेगा, उसको फ़ायदा होगा।
अल्लाह से दुआ है कि अल्लाह हम सबको नबी को मानने के साथ-साथ नबी की मानने वाला भी बनाये। आमीन।