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बच्चे के विकास के लिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार भी ज़रूरी-डॉ जोशी

संवाद – नूरुल इस्लाम

कासगंज। बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य और विकास के लिए छह माह तक स्तनपान स्तनपान और उसके बाद स्तनपान के साथ उचित पूरक आहार देना बहुत जरुरी है। बच्चों की सही देखभाल में सबसे ज्यादा ज़रूरी है बच्चे के खान पान व साफ सफाई का ख्याल रखना। इससे बच्चों का सही से विकास होगा बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी औऱ संक्रमित बीमारियों से भी बचे रहेंगे।
कासगंज मोहल्ला सिटी रामवली कॉलोनी निवासी 27 वर्षीय पूजा बताती हैं कि उनका बच्चा विधान जन्म से ही बहुत कमज़ोर हुआ था। ज़ब उसका जन्म हुआ तब ही आंगनवाड़ी बहनजी ने उन्हें छह माह तक केवल स्तनपान कराने के लिए बोला था, वह अपने बच्चे को स्तनपान कराती रही। जिससे उनका बच्चा छह माह तक स्वस्थ्य रहा, उसके बाद उन्होंने पूरक आहार पर उतना ध्यान नहीं दिया, जिस कारण बच्चे को बार बार दस्त की शिकायत होने लगी, वह बहुत कमज़ोर औऱ चिढ़चिड़ा हो गया। आशा कार्यकर्ता के सहयोग से बच्चे की जाँच में पता चला कि बच्चा अतिकुपोषित है। इसलिए उसको एनआरसी में 14 दिन के लिए भर्ती किया जाएगा। जिला अस्पताल में 14 दिन उसको दवाएं व पौष्टिक आहार दिया गया। हालत में सुधार होने पर जरुरी सलाह के साथ घर भेज दिया गया| पूजा बताती हैं कि डॉक्टर ने बच्चे को मसला हुआ केला, दलिया, दाल का पानी, खिचड़ी, मसले हुए फल, दूध आदि खाने में शामिल करने को कहा जिससे बच्चा स्वस्थ्य रहे। पूजा ने डॉक्टर के कहे अनुसार ही बच्चें की देखरेख की, जिससे बच्चा आज स्वस्थ्य है।
कासगंज अशोकनगर निवासी 30 वर्षीय राविया ने बताया आँगनवाड़ी कार्यकर्ता राजेश ने उन्हें स्तनपान के बारे में पहली बार गर्भवती होने पर समझाया था, साथ ही छह माह स्तनपान के बाद ऊपरी आहार की जानकारी दी थी। उन्होंने बतायी गयी जानकारी का पालन किया| वह अपने बच्चे को ऊपरी आहार में घुला हुआ दलिया, दाल का पानी, खिचड़ी आदि खिला रही हैं।
एसीएमओ एवं / बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 के सी जोशी ने बताया कि समय के अनुसार बच्चे की डाइट में परिवर्तन करना और उनकी डाइट में अलग-अलग चीजों को शामिल करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बच्चे के जन्म से लेकर छह माह तक के बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए। इस दौरान बच्चे को पानी, घुट्टी, शहद आदि नहीं देना चाहिए। क्योंकि बच्चे को सारी चीजें मां के दूध से ही प्राप्त हो जाती है।
उन्होंने बताया कि बच्चे के छह माह का होने के बाद से ऊपरी आहार की शुरुआत करें। प्रारंभ में बच्चे को नरम खिचड़ी व मसला हुआ आहार दो तीन चम्मच रोज, दो से तीन बार दें। फिर नौ माह तक के बच्चों को मसला हुआ आहार, दिन में चार पांच चम्मच से लेकर आधी कटोरी तक दे , नौ से बारह महीने के बच्चों को अच्छी तरह से कतरा व मसला हुआ आहार जो बच्चा अपनी अंगुलियों से उठा कर खा सके, देना चाहिए। इस उम्र के बच्चों की एक कटोरी निर्धारित कर देनी चाहिए, उसी के अनुसार दिन में तीन चार बार खाने को देना चाहिए। बारह से चौबीस माह तक के बच्चों अच्छी तरह से कतरा, काटा व मसला हुआ ऐसा खाना जो कि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बनता हो देना चाहिए। इस आयु में बच्चे को कम से कम एक कटोरी नाश्ता दिन में एक से दो बार व भोजन तीन चार बार देना चाहिए।
आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता बिलराम राजेश कुशवाह ने बताया कि वहवे केंद्र पर आने वाली महिलाओं को बताती हैं कि छह माह तक केवल स्तनपान कराना है। उसके बाद ऊपरी आहार में अर्धठोस आहार खाने में शामिल करना चाहिए। साथ ही केंद्र की ओर से दिए जाने वाले पोषाहार को बच्चों को कैसे खिलाना है, इसके बारें में बताती हैं।