- टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग और गैर सरकारी संस्था कर रही प्रयास
- टीपीटी से भविष्य में टीबी संक्रमण दर में तेजी से गिरावट आएगी
- आगरा । वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग के साथ गैर सरकारी संस्थाएं भी लगातार प्रयास कर रही हैं। इसी क्रम में जिला क्षय रोग विभाग और सीएचआरआई संस्था के प्रोजेक्ट जीत 2.0 के तहत आगरा के एक निजी होटल में टीपीटी (टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी) को लेकर प्राइवेट चिकित्सकों को जागरुक करने के लिए सीएमई कार्यशाला का आायोजन किया गया। जिसमें क्षय रोग को जड़ समाप्त करने के लिए टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी को महत्वपूर्ण बताया गया।
सीएमई कार्यशाला के दौरान एसएन मेडिकल कॉलेज के क्षय व वक्ष रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार और प्रोफेसर डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह द्वारा संयुक्त रूप से प्रतिभागी प्राइवेट चिकित्सकों को पीपीटी के माध्यम से टीपीटी कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि टीबी रोगियों के साथ उनके संपर्क में आए स्वजनों की स्क्रीनिंग व दवा भी जरूरी है। इसमें क्षय रोगी के परिवार के लोगों को छह महीने तक क्षय रोग की प्रतिरोधी दवा आयु के हिसाब से दी जाती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने कार्यशाला के प्रतिभागी प्राइवेट चिकित्सकों को टीपीटी कार्यक्रम के अंतर्गत पल्मोनरी टीबी रोगी के संपर्क में आने वाले परिवार के लोगों की स्क्रीनिंग के साथ- साथ टीबी रोलआउट करते हुए, नॉन टीबी कॉन्टैक्ट को टीपीटी के इलाज पर रखने की सलाह दी। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव ने सीएमई में टीपीटी की गाइडलाइन के अनुसार पल्मोनरी टीबी मरीज के घरेलू संपर्क को टीबी रोलआउट करते हुए, टीपीटी के इलाज पर रखने का अनुरोध किया साथ ही टीपीटी की उपयोगिता बताते हुए कहा कि इससे भविष्य में टीबी संक्रमण दर में तेजी से गिरावट आएगी।
डीआर टीबी समन्वयक शशिकांत पोरवाल ने सीएमई कार्यशाला के दौरान टीपीटी निदान, उपचार और प्रबंधन की सेवाओ पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में जीत 2.0 से स्टेट लीड डॉ. मेरिन जोस ने जीत 2.0 का अवलोकन और क्षय रोग उन्मूलन के लिए संयुक्त प्रयास जानकारी दी।
इस दौरान डीटीसी के कमल सिंह, पंकज सिंह, अरविन्द कुमार यादव, जिला कार्यक्रम समन्वयक अखिलेश शिरोमणि जीत 2.0 संस्था के डिस्टिक लीड वरुण कुमार रविकांत गुप्ता उपस्थित रहे।